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*इंटरनेशनल बिल्डिंग एंड वुड वर्क्स और वर्ल्ड सोशल फॉर्म की लैंगिक भेदभाव की दो दिवसीय कार्यशाला नेपाल के काठमांडू में हुई संपन्न*

 

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*इंटरनेशनल बिल्डिंग एंड वुड वर्क्स और वर्ल्ड सोशल फॉर्म की लैंगिक भेदभाव की दो दिवसीय कार्यशाला नेपाल के काठमांडू में हुई संपन्न*

Tct chief editor

पालमपुर/ बिलासपुर
इंटरनेशनल बिल्डिंग एंड वुड वर्क्स और वर्ल्ड सोशल फॉर्म की लैंगिक भेदभाव की दो दिवसीय कार्यशाला नेपाल के काठमांडू में संपन्न हुई। कार्यशाला में भारत देश से पूर्व सांसद एवं इंटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामचंद्र खूंटिया सहित 16 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिसमे भारत से 13 व नेपाल से तीन सदस्य शामिल थे। इस कार्यशाला में प्रत्येक सदस्य ने लैंगिक भेदभाव पर अपने-अपने विचार रखें। पुरुष महिला के भेदभाव को कैसे मिटाया जा सके इसके ऊपर गहन विचार विमर्श करने के उपरांत इसे धरातल पर कार्य करने की योजना बनाई गई।
हिमाचल प्रदेश से बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन एंड मनरेगा मजदूर यूनियन के राज्य उपाध्यक्ष संजय सैनी जो कि प्रदेश इंटक के महासचिव भी हैं, उन्होंने भी इस कार्यशाला में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लैंगिग समानता व संगठनों में महिलाओं की भागीदारी पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मजदूर संगठन में लैंगिक समानता को ध्यान में रखते हुए महिलाओं की सदस्यता में उनकी यूनियन हिमाचल प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन एंड मनरेगा मजदूर यूनियन ने महिला सदस्य में 36% की बढोतरी की है। व उक्त यूनियन की कार्यकारिणी में 39% महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य में महिलाएं आगे आए। इसके लिए यूनियन द्वारा समय समय पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
पूर्व सांसद, इंटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व वर्ल्ड बोर्ड के सदस्य, श्री रामचंद्र खूंटिया ने लैंगिक भेदभाव को पूर्ण रूप से मिटाने के लिए ट्रेड यूनियन के अंदर भरपूर प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि लैंगिक भेदभाव दूर होने से ट्रेड यूनियनो की सदस्यता बढ़ेगी और संगठन में मजबूती आ जाएगी। लैंगिक भेदभाव मिटाने से महिलाओं को भी पुरुषों के साथ आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि लैंगिक मुद्दों के ऊपर बी डब्ल्यू आई ने 2015 से 30% की महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए कार्य करने की योजना बनाई थी। तथा 2022 में स्पेन में हुई लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए 50% की भागीदारी सुनिश्चित की गई। उन्होंने यूनियनों में महिलाओं की सदस्यता बढ़ाने पर जोर दिया।
विकास सलाहकार और शोधकर्ता निखिल राज ने बताया कि 2015 से 2030 तक लैंगिग समानता का जो बीड़ा उठाया है, उनमें कुछ हद तक हम कामयाब भी हुए है, परन्तु बहुत काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कॉविड के समय में इस अभियान को आगे बढ़ाने में कुछ दिक्कतें आई थी। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता को बढ़ाने के लिए यूनियनों में महिलाओं की सदस्यता बढ़ाने के साथ साथ उनकी सहभागिता को बढ़ाने पर बल देने की जरूरत है।
मंच समन्वयक दक्षिण एशिया निशि कपाही ने तीन जेंडर की बात करते हुए कहा कि लैंगिक समानता तीन लोगों के बीच में होनी चाहिए। जिसमें पुरुष महिला के अतिरिक्त ट्रांस-मेन, ट्रांस-विमन, इंटरसेक्स या जेंडर-क्वियर और सोशियो-कल्चर आइडेंटिटी जैसे हिजड़ा और किन्नर से संबंध रखने वाले लोगों को भी शामिल करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि थर्ड जेंडर को भी इस मुहिम में शामिल किया गया है उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर की अब एक यूनियन भी बन गई है।
न्यूजीलैंड से आई नीति सलाहकार विल्मा रूस ने महिलाओं को बराबर का हक दिलवाने की बात कही। इस अवसर पर इंटरनेशनल बिल्डिंग एंड वुड वर्क्स क्षेत्रीय उपप्रितिनिधि डॉ राजीव शर्मा व दक्षिण एशिया शिक्षा अधिकारी प्रेरणा प्रसाद ने भी अपने विचार सांझा किए।

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