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*हाथों में तेरा हाथ* vinod vats mumbai
हाथों में तेरा हाथ
सारे रंग फीके पड़ गये
तेरे जाने के बाद।
सुनी हो गई प्रेम की घाटी
तेरे जाने के बाद।
तुम क्या गई सब छूट गया।
इश्क का दर्पण टूट गया।
खाली राते नाग सी डसती।
खुशियों का मंजर रूठ गया।
बैरंग हो गई मेरी दुनिया।
रंग हुये सब काले स्याह।
ऐसा ग्रहण लगा जीवन पे।
अब बाकी रह गई है आह।
जितना समय साथ रहे।
वो सतयुग जैसा था।
हाथो मे तेरा हाथ ।
शाम की गोधूलि जैसा था।
विनोद शर्मा वत्स