Minimum price Rate: *एम_आर_पी_उपभोक्ताओं_की_लूट_का_बड़ा_कारण* लेखक महेंद्रनाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार
04 जून 2024–(#एम_आर_पी_उपभोक्ताओं_की_लूट_का_बड़ा_कारण)–
प्रतिष्ठित दैनिक मे छपी रिपोर्ट के अनुसार अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत जो कि उपभोक्ता जागरण का काम करती है ने एम.आर पी की मनमानी पूर्ण छपाई पर नियंत्रण लगाने की मांग की है। सरकार ने 1970 मे लीगल मैट्रोलाजी विधान के तहत अधिकतम खुदरा मूल्य एक्ट पेश किया था, जिसके अंतर्गत खुदरा बिक्री के लिए रखे जाने वाले उत्पादों की पैकिंग पर एम.आर. पी की छपाई अनिवार्य कर दी थी। सरकार ने एम.आर.पी का कानून तो बना दिया और यह प्रावधान भी कर दिया कि एम.आर.पी से अधिक कीमत पर उत्पाद बेचना अपराध है। इस कानून की बड़ी विडंबना यह है कि एम .आर .पी कैसे तय की जानी चाहिए, इस बारे मे किसी भी दिशा निर्देश पर कानून चुप है।
आज निर्माता मनमर्जी एम.आर.पी तय करते है। एम.आर.पी अपारदर्शी है और उपभोक्ता को इसकी संरचना के बारे मे कोई जानकारी नहीं है। अधिकतम मूल्य तय करने मे सरकार की कोई भूमिका नहीं है। खासकर दवाइयों के मामले मे तो उपभोक्ताओं को जबरदस्त लूटा जा रहा है। इस मामले मे उपभोक्ता न तो अपने चुनने के अधिकार का प्रयोग कर सकता है न ही लूट के प्रति सचेत हो सकता है।मेरी समझ मे प्रत्येक वस्तु विशेषकर दवाई पर एम.आर.पी के साथ वस्तु निर्माण या दवाई पर आई लागत का मूल्य दर्ज होना अनिवार्य होना चाहिए। सरकार को इस सारे मामले का अवलोकन कर एम.आर. पी तय करने मे अपनी भूमिका तय करनी चाहिए। मेरे विचार मे सरकार को मनमानीपूर्ण एम.आर. पी छपाई पर नियंत्रण लगाना चाहिए और उपभोक्ताओं को लूट से बचाना चाहिए।
#आज_इतना_ही।