*टूरिज्म विलेज के लिए 100 एकड़ कृषि विश्वविद्यालय की ज़मीन के हस्तांतरण को लेकर राजनैतिक सौदेबाजी न करे सरकार*


टूरिज्म विलेज के लिए 100 एकड़ कृषि विश्वविद्यालय की ज़मीन के हस्तांतरण को लेकर राजनैतिक सौदेबाजी न करे सरकार
Tct chief editor….पालमपुर हल्के में टूरिज्म विलेज बने इसके हम कतई विरोधी नहीं है मगर यह कृषि विश्वविद्यालय की जमीन के साथ राजनैतिक सौदेबाजी करके न बने । यह प्रतिक्रिया समाज सेवा में समर्पित इन्साफ संस्था के अध्यक्ष एवं पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में व्यक्त की । पत्रकारों को सम्बंधित करते हुए प्रवीन कुमार ने कहा माना कि भगवान के बाद दूसरी ताकत सरकार होती है ऐसे में सरकार की ताकत का दुरुपयोग करके दबाव के चलते भले ही कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन कांपते हाथ से हस्ताक्षर कर अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर रहा है। लेकिन इनकी आत्मा भी कोस रही है कि किस तरह कृषि प्रधान देश में कृषि शिक्षा के क्षेत्र में दर्ज इस बेशुमार कीमती भूमि को व्यवसायिक गतिविधियों के लिए पर्यटन विभाग को दिया जा रहा है। पूर्व विधायक ने कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं गैर शिक्षक वर्ग ओर खासकर विश्वविद्यालय प्रशासन को उदाहरण देते कहा जव द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था तो उस वक्त सभी ने चुप्पी नहीं साधी होती तो महाभारत का युद्ध नहीं होता ओर न ही कुरुक्षेत्र की धरती खून से लथपथ होती । ऐसी ही स्थिति कृषि विश्वविद्यालय के तत्वावधान में कार्यरत कर्मचारियों , अधिकारियों , पढ़ने व पढ़ाने वालों की है। नतीजतन कृषि विश्वविद्यालय की जमीन का उसी तरह एक के बाद एक करके चीर हरण हो रहा है और सभी द्रौपदी चीर हरण की तरह मूक दर्शक बन नज़ारा देख रहे हैं। पूर्व विधायक ने कहा प्राप्त जानकारी के मुताबिक कुछ अति योग्य कृषि वैज्ञानिकों की अति सराहनीय कार्यप्रणाली के चलते यह विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा के प्रचार प्रसार व अनुसंधान में भारतीय मानकों के आधार पर केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की पदोन्नति श्रेणी में अग्रसर है। कहीं सरकार के इस कृत्य से यह प्रबल संभावनाएं क्षीण न हो जाएं । पूर्व विधायक ने सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए कहा वैसे भी यह क्षेत्र टूरिज्म विलेज की परिभाषा में नहीं आता है।



