*खबर का असर चौपाटी पर पुलिया का काम दोबारा हुआ शुरू*
सार्थक सूद, SDO PWD PALAMPUR is officer in demand
*खबर का असर चौपाटी पर पुलिया का काम दोबारा हुआ शुरू*
खबर का असर अभी कुछ समय पहले ही ट्राई सिटी टाइम्स में एक जन मंच कॉलम के तहत खबर लगी थी कि चौपाटी पालमपुर के पास एक पुलिया है जिसका निर्माण पिछले 6 महीना से लटका पड़ा है और यहां पर एक्सीडेंट होने की पूरी संभावना है लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है खबर के तीन हफ्ते बाद ही यह कार्य होने शुरू कर दिया गया इसमें अहम रोल रहा पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता सार्थक सूद का क्योंकि उनसे निजी तौर पर भी इस विषय पर बात की और उन्होंने कुछ तकनीकी अड़चनों का हवाला दिया परंतु कहा कि वह निजि रूप से इस पर ध्यान देंगे ।और इस कार्य को शीघ्र शुरू करवा देंगे। और हुआ भी वैसे ही पब्लिक इंटरेस्ट में उन्होंने यह कार्य कुछ टेक्निकल दिक्कत होने के बावजूद भी निजी तौर पर रुचि ले कर यह कार्य शुरू करवा दिया।
पूर्व विधायक प्रवीण शर्मा ने भी एक जिम्मेदार विपक्ष के नेता के रूप में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था उस बात का भी बहुत असर हुआ ।
मुद्दा यह नहीं है कि कार्य किस प्रेशर में शुरू हुआ परंतु मुद्दा यह है कि चाहे विपक्ष हो या पत्रकार इन दोनों का रोल शासन प्रशासन को जागरूक करना और अवहेलना करने पर उसकी आलोचना करना होता है ताकि जनहित के कार्य हो सके । और शासन प्रशासन चुस्त दुरुस्त होकर जनता की भलाई के कार्य करें लापरवाही ना करें। यदि विपक्ष या पत्रकार ही किसी भी गलत कार्य या लापरवाही पर आंखें मूंद कर सोया रहेगा तो फिर उनके होने ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता जो लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है। इन दोनों का कार्य जनहित के किसी भी कार्य के प्रति शासन प्रशासन की लापरवाही या उदासीनता को उजागर करके उसे सही करवाने का होता है।
इसके साथ ही ऑफिसर इस तरह के होने चाहिए जो जनता की दिक्कत को अपनी दिक्कत समझें उनकी चिंता या कष्ट को अपना कष्ट समझे।
पत्रकारों का भी यही रोल होता है कि अगर आपके किसी से निजी तौर पर रिश्ते हैं तो निजी कार्य बाद में करवाईये पहले पब्लिक इंटरेस्ट को देखें ताकि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का सही अर्थ चरित्राथ हो जाए और चौथा स्तंभ पब्लिक इंटरेस्ट में कार्य करें ।
शासन प्रशासन को भी चाहिए कि वह किसी भी कमी या लापरवाही या उदासीनता को जो जाने अनजाने में हो गयी हो को कोई यदि कोई पत्रकार या विपक्ष का नेता उजागर करता है तो उसे केवल मात्र आलोचना और सुधार के लिए ही समझे ना कि उसे निजी आलोचना समझे या निजि तौर पर अपनी खुनस से निकलने के लिए इस्तेमाल करें। यह जरूरी नहीं कि कहीं पर कोई उदासीनता है या लापरवाही है तो वह शासन या प्रशासन को पता ही होता है क्योंकि शासन प्रशासन तो ऑफिस में बैठकर हर चीज को जनता की दिक्कत और मुश्किल को महसूस नहीं कर सकता। यह भी जरूरी नहीं कि शासन प्रशासन या संबंधित विभाग अथवा अधिकारी जानबूझकर कोई ऐसा कार्य करते हो लेकिन हो सकता है कुछ बातें उसके संज्ञान में ना रहती हों।