*फोर्टिस मोहाली ने क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित 62 वर्षीय व्यक्ति, पर पहली मृत दाता ड्यूल किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया की*
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फोर्टिस मोहाली ने क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित 62 वर्षीय व्यक्ति, पर पहली मृत दाता ड्यूल किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया की।

यह फोर्टिस मोहाली में किया गया पहला कैडेवर ऑर्गन डोनेशन केस है. दोनों आंखों को पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में संग्रहित किया गया है-
पालमपुर, मार्च 29, 2025: फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के रीनल साइंसेज डिपार्टमेंट ने मृत दाता ड्यूत किडनी ट्रांसप्लांट के माध्यम से एक मरीज को नई जिंदगी दी है, जिसमें हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ से आए 73 वर्षीय मृत मरीज के दोनों किडनियां निकाली गई और ट्रांसप्लांट की गई। यह फोर्टिस मोहाली में किया गया पहला कैडेवर ऑर्गन डोनेशन मामला है।
फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली का ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम अस्पताल की यह प्रतिबद्धता दिखाता है कि वह जरूरतमंदों को विश्वस्तरीय चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए समर्पित है। यह प्रोग्राम ट्रांसप्लांट सर्जन्स डॉ. साहिल रैली, कंसल्टेंट, किडनी ट्रांसप्लांट, और डॉ. मिलिंद मंडवार, एसोसिएट कंसल्टेंट, लिवर ट्रांसप्लांट द्वारा पर्यवेक्षित है, जिनके पास जटिल ट्रांसप्लांट सर्जरी करने का पांच साल से अधिक का अनुभव है।
मृतक अंग दान (केडवर ऑर्गन डोनेशन) एक कठिन प्रक्रिया है और इसे केवल उस मरीज पर किया जा सकता है जिसे ब्रेन डेड घोषित किया गया हो। ब्रेन डेथ कमेटी, जिसमें चार डॉक्टर होते हैं, मरीज के दिमाग के काम करने की क्षमता, अचेतन अवस्था, ब्रेन स्टेम रिफ्लेक्स की अनुपस्थिति और कोमा की स्थिति की जांच करती है। यह समिति हर 6 घंटे में दो बार बैठक कर मरीज को मृत घोषित करती है।
इस मामले में, 73 वर्षीय मरीज को गंभीर हेमोरेजिक स्ट्रोक के कारण फोर्टिस मोहाली लाया गया था। पांच दिन बाद उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया, जिसके बाद उनके परिवार ने उनके अंग दान करने की इच्छा जताई। इसके बाद फोर्टिस मोहाली के डॉक्टरों और पंजाब राज्य के प्रतिनिधि के रूप में डॉ. अर्शदीप सिंह (डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, मोहाली) को शामिल करते हुए ब्रेन डेथ कमेटी का गठन किया गया। समिति ने मरीज को बैन वेड घोषित किया और अगले दिन फोर्टिस मोहाली के रीनल साइंसेज विभाग ने अंग प्राप्ति (डोनर ऑर्गन रिट्रीवल) की प्रक्रिया पूरी की। दोनों किडनियों को फोर्टिस मोहाली में प्रत्यारोपित किया गया, जबकि आंखों की जोड़ी को पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में सुरक्षित रखा गया है।
62 वर्षीय मरीज, पिछले पांच वर्षों से क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित था और पिछले नौ महीनों से डायलिसिस (रक्त से अपशिष्ट और पानी को छानना) पर था। किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी टीम, जिसमें डॉ. अन्ना गुप्ता, एसोसिएट कंसल्टेंट रीनल साइंसेज और किडनी ट्रांसप्लांट, डॉ. साहित रैली, कंसल्टेंट, किडनी ट्रांसप्लांट, और डॉ. मिलिंद मंडवार,एसोसिएट कंसल्टेंट, लिवर ट्रांसप्लांट, शामिल थे, ने मरीज पर ड्यूल किडनी ट्रांसप्लांट किया। सफल सर्जरी के बाद, मरीज को डायलिसिस से हटा दिया गया और वह आज सामान्य जीवन जी रहे हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट के महत्व को रेखांकित करते हुए, डॉ. रैली ने कहा कि दानकर्ताओं का सावधानीपूर्वक चयन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सफल सर्जरी का परिणाम मरीज के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करता है। पहले तीन महीनों के अलावा, बहुत कम आहार संबंधी प्रतिबंध होते हैं। नियमित फॉलो-अप्स एक नेफ्रोलॉजिस्ट के साथ आवश्यक होते हैं।
डॉ. रैली ने उरेमिक जटिलताओं की पहचान और उनके सर्जिकल परिणामों पर प्रभाव को भी महत्व दिया। कुछ जटिलताओं में संक्रमण, रक्तस्राव, हृदय और फेफड़े से संबंधित समस्याएं, कुपोषण, एनीमिया जिसके लिए रक्त का ट्रांसफ्यूजन करना पड़ता है, ट्रांसप्लांट किडनी के खिलाफ एंटीबॉडी का विकास होने का खतरा, डायलिसिस एक्सेस, मरीज का वेंटिलेटर पर जाना, घाव की हीलिंग में देरी, रोगग्रस्त रक्तवाहिकाएं (जिन पर किडनी प्रत्यारोपित की जाती है) और वित्तीय बोझ शामिल हैं।
डॉ. मंडवार ने कहा कि हर साल चार लाख से अधिक मरीज अंगों की कमी के कारण मर जाते हैं। हम अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित हैं। हम सभी से आग्रह करते हैं कि वे अंग दाता के रूप में पंजीकरण करने पर विचार करें और अपनी इच्छाओं को अपने प्रियजनों से साझा करें। डॉ. मंडवार ने आगे बताया कि अब तक, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली में सात लिवर ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं।