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जनमंच। *पालमपुर गांधी ग्राउंड में एक महीने से पड़ी रेत, बच्चों का खेल मैदान बना ‘रेत का टीला*

यह रेत पिछले एक महीने से ग्राउंड के बास्केटबॉल कोर्ट में यूं ही पड़ी है, जिससे न सिर्फ बच्चों और युवाओं की खेल गतिविधियां ठप हैं, बल्कि आस-पास के दुकानदार भी इससे परेशान हो चुके हैं।

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पालमपुर गांधी ग्राउंड में एक महीने से पड़ी रेत, बच्चों का खेल मैदान बना ‘रेत का टीला

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पालमपुर, 7 अप्रैल: होली मेले के दौरान गांधी ग्राउंड में कुश्ती मुकाबलों के लिए लाई गई रेत अब स्थानीय प्रशासन की सुस्ती की शिकार बन चुकी है। यह रेत पिछले लगभग एक महीने से बास्केटबॉल ग्राउंड में यूं ही पड़ी हुई है, जिससे बच्चों और युवाओं के खेलने की जगह पूरी तरह बंद पड़ी है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि बार-बार सूचना देने के बावजूद संबंधित विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। “सरकारी महकमा इतना व्यस्त है कि पिछले एक महीने में यह रेत भी नहीं उठवा सका,” एक स्थानीय नागरिक ने तंज कसते हुए कहा।

एक दुकानदार ने कहा, “रेत हवा में उड़कर हमारी दुकानों में घुस रही है। हमें रोज़ सफाई करनी पड़ रही है और ग्राहक भी परेशान हो जाते हैं। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”

बास्केटबॉल खेलने वाले युवाओं का कहना है कि गर्मियों की छुट्टियों में जहां वे सुबह-शाम प्रैक्टिस किया करते थे, अब वहां सिर्फ रेत के ढेर नजर आते हैं। उन्होंने आशंका जताई कि यदि समय रहते रेत नहीं उठाई गई, तो मैदान की हालत और खराब हो सकती है।

प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अघोषित रूप से यही बताया जा रहा है कि “हम बहुत बिजी हैं, सॉरी… जल्द उठवाएंगे।” सवाल यह है कि क्या सरकारी तंत्र की यह ‘व्यस्तता’ जनता की बुनियादी सुविधाओं से बड़ी है?

फिलहाल, गांधी ग्राउंड का बास्केटबॉल कोर्ट ‘रेत ग्राउंड’ में तब्दील हो चुका है — और बच्चे इंतजार कर रहे हैं, कि कब खेल का मैदान फिर से उनका होगा।

कुल मिलाकर, गांधी ग्राउंड की बदहाल हालत, नगर प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रही है। खेल के मैदान बच्चों का हक़ है — मगर यहां उनकी हसरतें धूल-रेत में दबी पड़ी हैं।


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