* पालमपुर के संग्राय चौक से पुराने बस स्टैंड तक दोपहिया वाहनों की आवाजाही पर रोक से व्यापारियों में भारी रोष, संयुक्त व्यापार मंडल ने जताया विरोध*


*संग्राय चौक से पुराने बस स्टैंड तक दोपहिया वाहनों की आवाजाही पर रोक से व्यापारियों में भारी रोष, संयुक्त व्यापार मंडल ने जताया विरोध*

पालमपुर, 14 मई 2025 — पालमपुर शहर के संग्रह चौक से पुराने बस स्टैंड तक दोपहिया वाहनों की आवाजाही पर प्रशासन द्वारा लगाई गई रोक को लेकर व्यापारियों और दुकानदारों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। इस फैसले के खिलाफ संयुक्त व्यापार मंडल पालमपुर, जिला कांगड़ा ने कड़ा विरोध जताया है और इसे व्यापार विरोधी तथा जनविरोधी कदम करार दिया है।
संयुक्त व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव सोनी और महासचिव विकास सूद ने एक ज्ञापन के माध्यम से डीएसपी पालमपुर को निवेदन किया है कि इस 200 मीटर के सीधे रास्ते को दोपहिया वाहनों के लिए बंद करना पूरी तरह से अव्यावहारिक और तर्कहीन है।
उनका कहना है कि इस निर्णय से न केवल स्थानीय व्यापार प्रभावित हो रहा है बल्कि दोपहिया वाहन चालकों को अनावश्यक रूप से लगभग 700 मीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। इससे पेट्रोल-डीजल की खपत बढ़ रही है, जो अंततः देश की विदेशी मुद्रा पर बोझ बन रहा है, क्योंकि भारत सरकार इन ईंधनों के आयात पर भारी राशि खर्च करती है।
संजीव सोनी ने कहा, “Covid के बाद व्यापार पहले ही मंदा चल रहा है। ऊपर से ऑनलाइन शॉपिंग और मॉल्स के चलते बाजार की रौनक कम हो चुकी है। अब अगर शहर के छोटे रास्तों पर भी इस तरह की पाबंदियां लगाई जाएंगी, तो स्थानीय दुकानदारों के लिए व्यापार चलाना मुश्किल हो जाएगा।”
उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि —
दोपहिया वाहनों को संग्रह चौक से पुराने बस स्टैंड तक जाने की अनुमति दी जाए।
चारपहिया वाहनों के लिए यदि आवश्यकता हो तो प्रतिबंध लागू रखा जाए।
छोटे रास्तों का व्यावहारिक मूल्यांकन कर उन्हें सुचारू रूप से खोला जाए ताकि ईंधन की बचत और लोगों को सुविधा मिल सके।
हेलमेट न पहनने पर चालान की बजाय जागरूकता को प्राथमिकता दी जाए, विशेषकर जब व्यक्ति एक दुकान से दूसरी दुकान जा रहा हो।
10-15 किमी की रफ्तार से चल रहे स्कूटर चालकों पर अकारण चालान न किया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और चालानों के डर से ग्राहक बाजार में आने से बच रहे हैं, जबकि मॉल्स में उन्हें मुफ्त पार्किंग और बिना रोक-टोक शॉपिंग का विकल्प मिलता है। ऐसे में यदि प्रशासन स्थानीय व्यापारियों की रक्षा करना चाहता है, तो उसे ऐसे कठोर नियमों की समीक्षा करनी होगी।
संयुक्त व्यापार मंडल ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र विचार नहीं किया गया, तो व्यापारी संगठन आगे आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होगा।
