Editorial:-*मोदी जी हिमाचल का रखिए ध्यान!🙏 तभी 27 में होगा भाजपा का कल्याण*!!


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✍️ ट्राई सिटी टाइम्स का संपादकीय bksood chief editor tct
मोदी जी हिमाचल का रखिए ध्यान!🙏
तभी 27 में होगा भाजपा का कल्याण!!

हिमाचल प्रदेश पिछले दो महीनों से लगातार बरसात के दंश को झेल रहा है। पहाड़ों में भूस्खलन, नदियों का उफान और लगातार टूटते पुल-सड़कें प्रदेश को अपाहिज बना चुके हैं। सैकड़ों लोग बेघर हो चुके हैं, करोड़ों अरबों की निजी व सरकारी संपत्ति नष्ट हो गई है और प्रदेश की अर्बन व ग्रामीण सम्पत्तियां तथा सड़कें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।
कई गॉंवों व नगरों का ढांचा ध्वस्त हो चुका है, जगह-जगह सड़कें धंस गई हैं, पुल बह गए हैं और गांव-शहर का संपर्क टूटा पड़ा है। स्थिति इस हद तक बिगड़ चुकी है कि यह अब सरकार के नियंत्रण से बाहर होती जा रही है।
ऐसे समय में जनता पूछ रही है कि जब राहत और पुनर्निर्माण के लिए हर एक रुपये की आवश्यकता है, तो सरकार सलाहकारों, चेयरमैनों और अन्य पदों पर करोड़ों रुपये क्यों बहा रही है? इन पदों पर तनख्वाह और भत्तों के नाम पर जो खर्च हो रहा है, उससे कितने गरीब परिवारों के घर बस सकते है, टूटी सड़कों की मरम्मत हो सकती है और शहरी ढांचे को दुरुस्त किया जा सकता है।
OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) को ढाल बनाकर सत्ता में आई सरकार से जनता को यही उम्मीद थी कि वह जनहित को प्राथमिकता देगी और फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाएगी, लेकिन अभी तक ऐसा दिखाई नहीं दे रहा।
दूसरी ओर, केंद्र सरकार का रवैया भी निराशाजनक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में विदेश से आते ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को फोन कर वहां की बाढ़ की स्थिति का हालचाल पूछा, जबकि वहां पर बाढ़ आए हुए अभी केवल दो दिन ही हुए हैं, लेकिन हिमाचल को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया। यह विडंबना है कि पंजाब की चिंता प्रधानमंत्री स्तर पर की जाती है, लेकिन हिमाचल, जहां पिछले दो महीनों से लगातार तबाही मची हुई है, उसे कोई तवज्जो नहीं दी गई।
हम जनमानस का मानना है कि अन्य फिजूलखर्चियां भी कटें सलाहकारों और असंवैधानिक पदों के अलावा भी प्रदेश सरकार की कई अनावश्यक खर्च की आदतें हैं।
मंत्रियों और अधिकारियों के शाही काफिले जिन पर पेट्रोल-डीजल और सुरक्षा का भारी खर्च होता है वह फिलहाल के लिए बंद हो जाए
विदेश दौरों और तथाकथित “स्टडी टूर” जिनका जनता को कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलता उसे भी पॉज मोड में रखना चाहिए
सरकारी कार्यक्रमों में भव्य स्वागत, तामझाम और विज्ञापनबाजी, जिसमें करोड़ों रुपये खर्च कर केवल अपनी छवि चमकाई जाती है वह भी बंद हो।
बड़े होटलों में आयोजित बैठकों और कॉन्फ्रेंसों पर होने वाला व्यय, जो आपदा की घड़ी में जनता के साथ अन्याय है।
अगर इन सभी खर्चों पर अंकुश लगाया जाए तो करोड़ों रुपये बच सकते हैं, जिनसे प्रभावित परिवारों को राहत, सड़क और पुलों का पुनर्निर्माण, तथा शहरी बुनियादी ढांचे की मरम्मत संभव हो सकती है।
बरसात की इस आपदा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जनता अब बड़े-बड़े वादों और दिखावे से नहीं, बल्कि जमीनी मदद और राहत से न्याय चाहती है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि तुरंत अनावश्यक पद और खर्च समाप्त करे, राहत कार्यों को प्राथमिकता दे और राज्य के सभी सांसद आपसी मतभेद भुला कर केंद्र सरकार से हिमाचल के लिए विशेष पैकेज की मांग दृढ़ता से रखे।
उधर केंद्र सरकार को भी भेदभावपूर्ण रवैया छोड़कर हिमाचल को प्राथमिकता के आधार पर आर्थिक सहायता देनी चाहिए माना कि राज्य में उनकी सरकार नहीं है लेकिन केंद्र में तो हिमाचल ने भाजपा को पूरा समर्थन दिया है पूरे का पूरा प्रतिनिधित्व सभी सांसद भाजपा के भेजे हैं इसी बात को ध्यान में रखा जाए।🙏🙏
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