Editorial*कांग्रेस_और_भाजपा_अपने_ढंग_से_लगी_2024_के_लोकसभा_चुनाव_की_तैयारी_मे* महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश*
24 जनवरी 2023- (#कांग्रेस_और_भाजपा_अपने_ढंग_से_लगी_2024_के_लोकसभा_चुनाव_की_तैयारी_मे)-
अगले वर्ष 2024 मे देश मे आम चुनाव होने वाले है। देश की दोनों प्रमुख पार्टियाँ आम चुनाव की तैयारी मे जुट गई है। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा लोकसभा की तैयारी के साथ- साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की छवि को चमकाने की कवायद भी है। जहां तक भाजपा की बात है उनके पास जनता मे स्वीकार्य नेतृत्व मौजूद है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे भाजपा किसी भी चुनावी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। भाजपा की राजनीति करने की अलग कार्यपद्धति है। यह पार्टी सारा वर्ष संगठन मजबूत करने का काम करती है और जीत के लिए संगठन पर अधिक निर्भर करती है। भाजपा कांग्रेस की पदयात्रा के बारे मे सार्वजानिक तौर पर कुछ भी कहें लेकिन अन्दर से वह इसे हल्के से लेने के लिए तैयार नहीं है। वैसे भी लोकसभा चुनाव से पहले दो बड़े राज्यों कर्नाटक और मध्य प्रदेश जहां भाजपा के पास सत्ता है मे सत्ता विरोधी हवा के चलते भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना है। भाजपा का असली लक्ष्य लोकसभा मे हैट्रिक लगाने का है।
भाजपा ने 2024 के चुनाव के लिए 350 सीटों का लक्ष्य तय किया है। भाजपा ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाजपा ने ऐसी 160 सीटें चिन्हित की है जो भाजपा ने कभी जीती नहीं है या बहुत समय से हार रहे है। इन 160 सीटों को तीन श्रेणियों मे बांटा गया है। सर्वोत्तम, अच्छी सुधार योग्य और बेहद खराब। सर्वोत्तम के तहत वे सीटें है, जहां भाजपा ने पिछले चुनाव मे जीत भले न हासिल की हो लेकिन पार्टी अगर थोड़ा परिश्रम करें तो जीतने की स्थिति मे आ सकती है। सुधार योग्य है वह सीटे है जहां मेहनत कर लड़ाई लड़ी जा सकती है। अत्यंत खराब श्रेणी में वे सीटें है जहां पार्टी कभी नहीं जीती। इन मुश्किल सीटों के लिए भाजपा ने एक कार्ययोजना बनाई है और उस पर काम भी शुरू कर दिया है।
जहां कांग्रेस भाजपा के दस साल के सत्ताकाल के दौरान पैदा हुई नाराजगी और पद यात्रा से राहुल गांधी के लिए पैदा हुए समर्थन पर निर्भर है वही भाजपा एक बार फिर संगठन की ताकत और नरेंद्र मोदी के करिश्मे पर सवार हो कर लोकसभा का चुनाव जीतना चाहती है, इसीलिए भाजपा अपने संगठन को चुस्त-दुरूस्त कर सूक्ष्मता से अपनी ताकत और कमजोरियों का अध्ययन कर रही है। जैसा मैने कल लिखा था कि भाजपा ने अपनी 160 कमजोर लोकसभा सीटों को चिन्हित किया है। राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे के नेतृत्व मे एक कार्यदल का गठन किया गया है। इन सभी कमजोर मानी जाने वाली सीटों पर एक-एक प्रशिक्षित विस्तारक की नियुक्ति की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 28-29 दिसंबर को हैदराबाद मे 60 विस्तारकों का प्रशिक्षण हुआ है। 160 सीटों के लिए बनाए गए विस्तारक अभी से लोकसभा चुनाव तक अपनी-अपनी सीट पर रहकर पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे। इसके बाद मुश्किल सीटों के जातिगत समीकरण को देखते हुए इन पर सोशल इन्जीनियरिंग की रणनीति अपनाई जाएगी। इन सीटों का 40 केन्द्रीय मंत्रियो को इंचार्ज बनाया जाएगा। प्रत्येक को चार- चार सीटें सौपी जा सकती है। इन सीटों पर प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम करवाने का भी विचार पार्टी रखती है।
केन्द्रीय मंत्री केन्द्र सरकार की उपलब्धियों को लेकर सीधा संवाद करेंगे और लाभार्थियों से फीडबैक लेगें। मेरी समझ मे 80 करोड़ लोगों को दिए जाने वाला मुफ़्त राशन लोकसभा चुनाव तक जारी रखा जा सकता है। स्मरण रहे लगभग ऐसी ही तैयारियां हिमाचल के चुनाव को लेकर भी की गई थी, लेकिन भाजपा हिमाचल मे मिशन रिपीट नहीं करवा सकी। मेरे विचार मे संगठन की ताकत और चुनाव प्रबंधन एक सीमा तक ही काम करता है। इसके अतिरिक्त जनता मे सरकार की क्या छवि है और विकल्प कैसा है यह भी अति महत्वपूर्ण होता है। लोकसभा चुनाव को लेकर अभी तक राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि कोई स्पष्ट विकल्प उपलब्ध नहीं है और यही भाजपा की असली ताकत है। कांग्रेस की पदयात्रा लोकसभा के चुनाव मे विकल्प देने मे कितनी मददगार होगी इसका जवाब केवल लोकसभा चुनाव के परिणाम ही दे सकते है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।