*मेयर साहब सोलर की जगह विधुतीकृत स्ट्रीट लाईटें लगाने का तो स्वागत है लेकिन थोडे समय के भीतर ही खराब पड़ी अर्थात जग नहीं रही सोलर लाईटों के प्रति किसी की कोई जवाब देही नहीं :- प्रवीन कुमार पूर्व विधायक-
मेयर साहब सोलर की जगह विधुतीकृत स्ट्रीट लाईटें लगाने का तो स्वागत है लेकिन थोडे समय के भीतर ही खराब पड़ी अर्थात जग नहीं रही सोलर लाईटों के प्रति किसी की कोई जवाब देही नहीं :- प्रवीन कुमार पूर्व विधायक…….
यह प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने कहा कि नगर निगम पालमपुर के नव निर्वाचित मेयर जी की अध्यक्षता में हुई पहली बैठक में निर्णय लिया गया कि अव सोलर की जगह विधुतकृत लाईटें लगाई जाएगीं । इस पर पूर्व विधायक ने मेयर साहिब का ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए कहा कि जरा रात के अंधेरे में नगर निगम के प्रवेश द्वार चिम्बलहार से लेकर केबल अपने वार्ड तक का मुआयना करें कि कितनी सोलर लाईटें जगती हैं ओर कितनी नहीं अर्थात खराब पडी है। पूर्व विधायक ने कहा कि थोड़े समय के भीतर ही इन कई सोलर लाईटों के न जगने के विषय को उन्होंने बडी प्रमुखता के साथ सम्बधित विभाग के अधिकारियों के ध्यानार्थ लाया था लेकिन लगता है कि आपसी मिली भगत के चलते आज दिन तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई । इस सन्दर्भ में पूर्व विधायक ने विधुतकृत लाईटें लगाने से पहले नगर निगम पालमपुर जनता को स्पष्टीकरण दे कि जो लगाई गई सोलर लाईटें अल्प अवधि के भीतर ही ख़राब हो गई या नहीं जग रही है ऐसे में इन सोलर लाईटें लगाने वाली एन्जैसी के विरुद्ध क्या जवाब देही सुनिश्चित करते हुए कार्यवाही अमल में लाई गई है।
प्रवीण जी ! आपने समय निकाल कर बहुत अच्छी पोस्ट डाली है , आज के समय में बिजली के बगैर समय काटना वो भी सालों तक , एक बजुर्ग , अकेली और बीमार महिला के लिए कितना दुखदाई है या रहा होगा, ये तो ये दुखिया ही जानती है या आपने जाकर देखा और हम सबको भी दिखाया , प्रवीण जी ! खैर आपने ठाना है तो गरीब की कुटिया में उजाला हो ही जायेगा , अब एक सवाल तो विभाग के अधिकारियों पर भी बनता है कि इस परिवार का बिल 65 हजार कैसे बना या कैसे बनने दिया और मान लो कि बन ही गया तो ये भी पता कि इससे अब ये बिल आने बाला नहीं है तो क्या ये लाचार महिला सारी उम्र अंधेरे में ही काट दे , चलो ये तो मेरी सोच है विभाग के पास डिफाल्टर को दोबारा से कनेक्शन देने में अपनी सीमाएं और शर्ते होंगी फिर भी एक मजबूर की मजबूरी का हल भी तो जरूरी है , एक तरफ सरकार गरीबों को बहुत सारी सहूलियतें देने की बात करती है, बैंक ऋण माफ हो जाते हैं तो इस मजबूर अकेली महिला ने ऐसा क्या गुनाह कर दिया ? Dr lekh raj