*लोकसभा_चुनाव_मे_जंग_राम_भक्तों_और_राम_मंदिर_विरोधियों_मे_होने_की_संभावना*
18 जनवरी 2024- (#लोकसभा_चुनाव_मे_जंग_राम_भक्तों_और_राम_मंदिर_विरोधियों_मे_होने_की_संभावना)–
हालांकि मै ऐसा मानता हूँ कि भारत मे रहने वाला कोई राम विरोधी नहीं हो सकता, लेकिन फिर भी कुछ लोग राजनीतिक कारणों और अपने व्यवहार के चलते अपनी पहचान राम मंदिर विरोधी बना रहे है। दुसरी ओर भाजपा सहित संघ परिवार ने पहले राम मंदिर आन्दोलन मे अपनी सक्रिय भूमिका के चलते और अब मदिर निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम मे अपने योगदान से अपनी राम भक्त की छवि को ओर सुधृढ किया है। उधर इंडिया गठबंधन ने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के निमंत्रण को ठुकरा कर मंदिर के निर्माण से अपने को दूर कर लिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भाजपा और संघ का बता कर भाजपा का काम और भी आसान कर दिया है। मेरी समझ मे आने वाले दिनो मे देश की राजनीति विशेषकर उत्तर भारत मे मंदिर समर्थकों और मंदिर विरोधियों मे विभाजित हो जाएगी।
गांधी परिवार का मंदिर उद्घाटन के निमंत्रण को अस्वीकार करना कोई नई बात नहीं है। स्मरण रहे जब सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था तो गांधी परिवार के बड़े और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को सोमनाथ मंदिर उद्घाटन के कार्यक्रम मे आमंत्रित किया गया था। नेहरू ने वह निमंत्रण अस्वीकार कर दिया और तत्कालीन राष्ट्रपति और गृहमंत्री को भी इस कार्यक्रम मे सम्मलित होने के लिए मना किया था, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद और गृहमंत्री सरदार पटेल ने नेहरू की सलाह को दरकिनार करते हुए सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह का साक्षी बनना स्वीकार किया था। मेरे विचार मे गैर भाजपा दल मोदी विरोध और देश विरोध और मोदी विरोध और मंदिर विरोध के अन्तर को रेखांकित नहीं कर पा रहे है। इसका लाभ उठाकर भाजपा के रणनीतिकार विरोध पक्ष के मोदी विरोध को उनके मंदिर विरोध और देश विरोध के तौर पर प्रचारित करने मे सफल हो रहे है। विरोध पक्ष को अपने इस द्वन्द्व की क्या कीमत चुनावों मे चुकानी होगी उसके लिए हमे चुनाव परिणाम का इतंजार करना होगा।
#आज_इतना_ही।