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*दिल्ली_के_सरकारी_बंगलो_की_सियासत_बड़ी_दिलचस्प_है*

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20 जनवरी 2024- (#दिल्ली_के_सरकारी_बंगलो_की_सियासत_बड़ी_दिलचस्प_है)–

दिल्ली मे सरकारी बंगले पर जमे रहने के लिए लोग तरह-तरह के जुगाड़ लगाते है। यहां तक कि कई तरह के तर्क देकर कानूनी लड़ाई लड़ते है। हाल ही मे एथिक्स कमेटी की सिफारिश के बाद संसद से निष्कासित हुई टी.एम.सी की सासंद महुआ मोइत्रा अपना सरकारी बंगला खाली नहीं कर रही थी। जब उन्हे विभाग ने खाली करने का नोटिस जारी किया तो उन्होने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया और जब वीरवार को अदालत से उन्हे राहत नहीं मिली तो उन्हे शुक्रवार को सरकारी बंगला खाली करना पड़ा। स्मरण रहे महुआ मोइत्रा ने अपने चिकित्सा कारणों का हवाला देकर कोर्ट से राहत की गुहार लगाई थी। इसी प्रकार स्वर्गीय शरद यादव जद-यू से अलग हुए और उनकी संसद की सदस्यता दल-बदल कानून के अंतर्गत निरस्त हो गई थी, उन्होने भी अपने स्वस्थ्य कारणों का हवाला देकर लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी लेकिन वह भी लड़ाई हार गए थे।

असल मे दिल्ली मे जिसको भी सरकारी बंगला मिलता है वह उसे छोड़ना नहीं चाहता। यह बंगले कई-कई एकड़ मे स्थित अति सुविधाजनक और स्टेटस सिंबल के प्रतीक है। इनका किराया बाजार भाव से लाखों रूपए मे आंका जा सकता है। मुख्यतः यह बंगले नेताओ, बड़े अफसर शाहों और उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के जजों को दिए जाते है। इसके अतिरिक्त समय-समय पर सरकार सुरक्षा कारणों को आधार बना कर कुछ प्राइवेट व्यक्तियो को भी सरकारी बंगले आबंटित करती है। गुगल से प्राप्त जानकारी के अनुसार मनिंदर सिह विटा, लालकृष्ण आडवाणी,सुब्रह्मण्यम स्वामी और मुरली मनहोर जोशी को भी सुरक्षा कारणों से आवास आबंटन किये गए है। इनके अतिरिक्त केपीएस गिल के जीवन काल मे भी उन्हे यह सुविधा दी गई थी। दिल्ली मे बंगला राजनीति अति चर्चित है। जज और अफसर रिटायरमैंट के बाद सरकार मे ऐसी जॉब का जुगाड़ करते है जिससे उनकी आवासीय सुविधा बची रहे।

सरकार राजनेताओं की प्रताड़ना या तुष्टीकरण के लिए भी सरकारी बंगलो का उपयोग करती है। प्रियंका गांधी से एस.पी.जी का सुरक्षा घेरा वापस लिया और उन्हे सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी थमा दिया गया था, जबकि ऐसे लोगो को सरकार ने बंगला आबंटित कर रखा है जिनके पास एस.जी.पी सुरक्षा का घेरा नहीं है। खैर खूब राजनीति हुई और अन्त मे प्रियंका ने सरकारी बंगला खाली कर दिया। मेरी समझ मे दिल्ली मे सरकारी आवास को लेकर पारदर्शी नीति का बनना अति आवश्यक है फिर उसे कठोरता से लागू करना भी जरूरी है। मेरे विचार मे रिटायरमैंट के बाद जो जुगाड़ करके सरकारी सेवा मे बने रहते है उनका उसी सरकारी घर मे बने रहने का अधिकार खत्म होना चाहिए।

#आज_इतना_ही।

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