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Editorial:*Working of HRTC under question*

 

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Working of HRTC under question

Tct chief editor

हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम प्रदेश यातायात के मामले में लाइफ लाइन माना जाता है। यहां पर रेलों का विस्तार नहीं है और हवाई सफर भी बहुत कम होता है या यूं कहें कि न के बराबर होता है ।
लोगों का आवागमनन मात्र हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम तथा अन्य प्राइवेट बस ट्रांसपोर्ट कंपनियों पर निर्भर है। लोगों को यात्रा की सुविधा के मामले में जो भी राहत दी जाती है वह केवल एचआरटीसी पर द्वारा दी जाती है।
कुछ रूट घाटे के होते हैं जिन पर एचआरटीसी जनता को सुविधा प्रदान करने के लिए वहां पर यातायात की सुविधा प्रदान करती है। इस बात में कोई शक नहीं है कि हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी लोगों को सुविधा प्रदान करने के लिए खुद घाटे में जा रही है, लेकिन कुछ कारण ऐसे भी हैं जिसके कारण एचआरटीसी घाटे में चल रही है जिनमें से कुछ रूट पर एचआरटीसी ने काफी रिसर्च वर्क नहीं किया है ।
कुछ रूट पर जहां पर यात्री नहीं होते वहां पर भी एचआरटीसी की बसों को चलाया जा रहा है । क्या वहां पर यात्रियों की सुविधा के लिए केवल मात्र एचआर टीसी की ही बसें चलाई जाए या किसी बेरोजगार नौजवान को यहां पर रोजगार सृजन की सुविधा दी जाए जिससे लोगों को भी सुविधा होगी और युवकों को रोजगार भी मिलेगा ।
दूसरा कारण: ऐसा लगता है कि एचटीसी केवल मात्र वाहवाही के लिए ही कुछ रूट चला रही है। कल ही एचआरटीसी की शिमला दौलतपुर बस में सफर करने का मौका मिला यह बस वाया कालका नालागढ़ से होते हुए दौलतपुर जाती है ।हैरानी की बात यह है कि यह बस कालका में लगभग आधा घंटा जाम में फंस जाती है जिससे सरकारी ईंधन का फिजूल खर्चा तो होता ही है साथ ही यात्रियों को भी असुविधा होती है ।ड्राइवर से बात करने पर पता चला कि केवल मात्र हिमाचल पत्र परिवहन निगम की ही बसें वाया कालका चलाई जाती है जबकि अन्य राज्यों की परिवहन सेवाएं कालका बाईपास से होते हुए सीधे परवाणू पहुंच जाती है। या परवाणू से सीधे पिंजोर बाईपास पहुंच जाती है जिसमें केवल मात्र 10 मिनट का समय लगता है ,और अगर बस कालका बाजार से होकर जाए तो बस को कम से कम भी आधा घंटा का समय लगता है। जिससे यात्रियों को न केवल असुविधा होती है बल्कि एचटीसी को भी बहुत नुकसान होता है।
हैरानी की बात तो यह है कि हरियाणा रोडवेज की बसें जिनके क्षेत्र में यह है शहर कालका आता है वह भी कालका बाजार में अपनी बसों को भेजने से परहेज करते हैं। लेकिन हमारे हिमाचल के पथ परिवहन निगम के अधिकारी इतने दिलेर हैं कि वह कालका से ही बस भेजते हैं जबकि कालका में ना तो बस का कोई स्टॉपेज है और ना ही वहां से कोई सवारी बैठाई जाती है फिर कालका से एचआरटीसी की बसों को क्यों चलाया जा रहा है जिससे यात्रियों को सुविधा हो रही है और साथ ही परिवहन निगम को घाटा भी हो रहा है।

क्या अधिकारी इस विषय में कोई संज्ञान लेंगे और यात्रियों की सुविधा और हिमाचल पथ परिवहन की फायदे के लिए यह बसों को पिंजौर बाईपास से होते हुए सीधे परवाणू पहुंचाएंगे।

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