*पाठकों के लेख: लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार :-भाजपा_भाग्यशाली_है_कि_उसके_सामने_राहुल_गांधी_जैसा_विरोधी_नेता_है*


24 मई 2022– (#भाजपा_भाग्यशाली_है_कि_उसके_सामने_राहुल_गांधी_जैसा_विरोधी_नेता_है) —
इस शीर्षक के साथ प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक मे एक लेख छपा है। उस लेख मे इस शीर्षक के समर्थन मे कुछ तर्क दिए गए है। उन कुछ तर्कों मे दम भी नजर आता है। राहुल गांधी भारत के सबसे बड़े विरोधी दल के नेता है। उनसे अपेक्षा यह है कि वह भारत की राजनीति मे सक्रिय रहते हुए यहां के जनहित के मुद्दे उठाए, लेकिन उनकी अधिक रूचि विदेश यात्राओं मे रहती है। हाल ही मे राहुल गांधी लंदन के दौरे पर थे वहां पर उन्होने सरकार, संघवाद और विदेश मंत्रालय के बारे मे जो बाते कहीं वह नई नहीं थी, लेकिन क्या उन्हे विदेश जा कर यह सब कहना चाहिए था, इस पर मीडिया मे बहस हो रही है। राहुल गांधी का यह कहना कि भारत- चीन सीमा विवाद रूस- यूक्रेन युद्ध जैसा रूप ले सकता है, निश्चित तौर पर गैर- जिम्मेदाराना ब्यान है। विदेश मंत्रालय पर उनकी टिप्पणी पर विदेश मंत्री जो कि भारत के विदेश सचिव भी रह चुके है की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है।
आज कल राहुल गांधी भारत को विभिन्न राज्यों का संघ बता रहे है। यह बात उन्होने राजस्थान मे सम्पन्न कांग्रेस के चिंतन शिविर मे भी कही थी। इसका अर्थ क्या है ? यानी भारत एकात्म राष्ट्र नहीं है। ऐसा लगता है कि वह अपने इस बयान के माध्यम से भारत के संघीय ढांचे की तुलना टूटने से पहले वाले यू एस एस आर से कर रहे है। मेरे विचार मे इस प्रकार की तुलना किसी भी तरह सही नहीं है। जब देश मे एक राष्ट्र एक टेक्स या एक राष्ट्र एक राशन कार्ड की बात हो रही है। ऐसे मे एक राष्ट्र की अवधारणा को अपने ब्यानों द्वारा झूठलाने का प्रयास कहां तक सही है। राहुल गाधी के ऐसे ब्यानों और व्यवहार से यदि कोई खुश है तो वह और कोई नहीं केवल आज की सत्तासीन पार्टी भाजपा है, क्योंकि भाजपा को राहुल जैसा विरोधी नेता मिल गया है। जिससे उसको कभी कोई खतरा हो ही नहीं सकता।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।