इस_बार_नागरिक_सम्मान_समारोह_का_अलग_ही_नजारा_था
12 नवम्बर 2021– (#इस_बार_नागरिक_सम्मान_समारोह_का_अलग_ही_नजारा_था) — महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार

अभी तक यह समझा जाता था कि नागरिक सम्मान पाने का अधिकार केवल पेज 3 के नाम से चर्चित चेहरो के लिए सुरक्षित है। वह समाज के प्रभावशाली वर्ग का प्रतिनिधित्व करते थे। यह आम धारणा भी समाज मे थी कि यह लोग यह सम्मान पाने के लिए खूब जोड़- तोड़ करते है। इसमे सिफ़ारिश की भी एक भूमिका होती है। आज की सत्ता के कौन नजदीक है इस बात का बड़ा महत्व था लेकिन इस बार देश के राष्ट्रपति जी ने प्रधानमंत्री जी की गौरवमई उपस्थिति मे जिन कुछ लोगो को पुरस्कृत किया है उससे वह कम और पुरस्कार अधिक सम्मानित हुए है। ऐसा नहीं कि यह बात हर पुरस्कृत होने वाले पर लागू है लेकिन वर्तमान मोदी सरकार ने शुरुआत अच्छी की है। पद्मश्री या पद्म विभूषण को गौरवान्वित करने वाले लोग है:-
(1) हरेकाला हजब्बा जो खुद अशिक्षित है और फुटपाथ पर बैठकर संतरे बेचते है और उन्होने अपनी जीवन भर की कमाई खर्च कर अपने गांव मे पहली पाठशाला खोल दी।
(2) अयोध्या के मोहम्मद शरीफ, जिन्होने 25000 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है।1992 मे बेटे के क्षत-विक्षत शव ने उन्हे इस पुण्य काम के लिए प्रेरित किया।
(3) लद्दाख के छुलतिम छोंजोर जिन्होने कारगिल क्षेत्र मे अपने दम पर 38 किमी सड़क अकेले बना दी।
(4) कर्नाटक की आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा जिसने अकेले ही 30000 से ज्यादा वृक्ष रोप दिए है।
(5) राजस्थान के संकल्पशील पुरूष हिम्मत राम भांभू जिन्होने अपने क्षेत्र मे हजारों पौधे लगाने का अभियान चलाया है।
(6) महाराष्ट्र की आदिवासी महिला राहीबाई पोपेरे भी देसी बीज स्वयं तैयार करती है। इनके तैयार बीजों से क्षेत्र के किसानों को बेहतर आमदनी हो रही है।
यह वह लोग है जिनके कार्य कलापो से वंचितो और गरीबों को लाभ हुआ है। उल्लेखनीय इनमे से कुछ लोग न लिखना जानते है और न पढ़ना। इस पुरस्कार के लिए चुनने से पहले इनकी कोई पहचान नहीं थी। यह पहली बार दिल्ली सम्मान पाने के लिए आए थे। कुछ के पैर मे चप्पल तक नहीं थी। लगता था असली भारत स्वयं चल कर भारत के प्रथम नागरिक के यहां पहुंचा है। जिन्होने सम्मान के सच्चे हकदारों की खोज की और जिसकी इस खोज के पीछे सोच थी को प्रणाम करते हुए #आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।