एक लेखक/लेखिका की जिम्मेदारी
एक लेखक/लेखिका की जिम्मेदारी
❤️अगर मरने के बाद भी जीना है तो एक काम जरूर करना पढने लायक कुछ लिख जाना या फिर लिखने लायक कुछ कर जाना …. ❤️
उक्त पंक्तियां बचपन मे पढ़ी थीं तब नही जानती थी कि ….ये बात किसने कही। नए नए लेख पढ़ने के शौक में ये जाना कि तब से ही मेरे मन मस्तिष्क में बैठी ये पंक्तियां कही गईं हैं ….हमारे ❤️पूर्व राष्ट्रपति महामहिम अब्दुल कलाम सा. जी ने ❤️
लेकिन तब से ही ये बात दिमाग मे बैठ गयी और निकली ही नही…कि लेखन की कोई भी विधा हो अमिट छाप छोड़ती है….
लेखन सिर्फ शौक के लिएहो सकता है…पर अपने लिखे विचार कहीं साझा करने हो ,तो ये एक बहुत बड़ी नैतिक जिम्मेदारी होती है लेखक की /लेखिका की…कि वो सिर्फ स्वयं का नही होता है बल्कि समाज के लिये साहित्यिक धरोहर होता है ….जिसे सदियों याद किया जाता है अपनी रचनाओं द्वारा…..
जो कुछ भी वह लिख रहा है/ लिख रही है इसका सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही तरह का प्रभाव पड़ेगा…तो क्यों न सकारात्मक लेखन प्रभावशाली ढंग से किया जाए ….क्या पता हमारी लिखी कोई बात पाठक के मन पे कैसा असर डालेगी….क्या पता निराशा के सागर में डूब चुका आत्मघात करने को आतुर कोई व्यक्ति हमारी लिखी गयी कोई नकारात्मक बात से और भी ज़्यादा निराश हो जाये….या ऐसा भी ही सकता है कि कोई सकारात्मक लेख इतना सबल दे जाए कि वो निराशा के सागर से उभर जाए और उसकी जीने की इच्छा बढ़ जाए…क्या पता बिना विचारे कोई बात लिख देने से समाज मे ऐसा सन्देश प्रसारित हो जाये कि अपमान व आत्मग्लानि का दंश सहन पड़े…
❤️कलम शमशीर बन जाये तो क्रांति ला सकती है…. ❤️
मेरी पूरी कोशिश रहती है और आगे भी रहेगी कि मेरी लेखनी से कभी अनर्गल न लिखूं व मेरे शब्दों में वजन भी भरपूर हो…कि किसी को आहत न करें और बात भी पूरी कर जाएं….🙏🙏