*मज़दूर दिवस की सभी साथियों को बधाई और शुभकामनाएं इस अवसर पर विशेष रचना कविता।*
मज़दूर दिवस की सभी साथियों को बधाई और शुभकामनाएं। इस अवसर पर विशेष।
पसीने से तर- ब- तर उस आदमी को,
मैने देखा है कहीं इस आदमी को।
मशीनों से लौ लगाते हुए
लू में जिस्म जलाते हुए
सड़कों पे रोड़ी बिछाते हुए
आधा पेट रोटी खाते हुए
बच्चे को भूखा सुलाते हुए
चांद में बुढ़िया दिखाते हुए
मैने देखा है कहीं इस आदमी को।
मैने देखा है कहीं इस आदमी को
बोझा सिर पर उठाते हुए
तामीर महल कराते हुए
नंगे बदन सर्दी बिताते हुए
उजरत न पूरी पाते हुए
शुक्र खुदा का मानते हुए
पलकों में आंसू छुपाते हुए
फुटपाथ पर मर जाते हुए
मैने देखा है कहीं इस आदमी को।
मैने देखा है कहीं फिर इस आदमी को
हक अपना पाते हुए
मसनद को हिलाते हुए
तारीख नई बनाते हुए
इतिहास को रचाते हुए
परचम लाल लहराते हुए
हुकुमरानों को भागते हुए
ताकत अपनी दिखाते हुए
मैने देखा है कहीं इस आदमी को।
मैने देखा है कहीं इस आदमी को
तख्त- ओ- ताज गिराते हुए
कहकशां धरा पर लाते हुए
राहें नई बनाते हुए
गीत जीत के गाते हुए
भेद- भाव नस्ली मिटाते हुए
नया जहान बसाते हुए
मैने देखा है कहीं इस आदमी को।
– मनमोहन सिंह
tricitytimes की तरफ से मजदूर दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं👍