*’सरल नही चींटी होना’: पाठकों के लेख एवं रचनाएं लेखक: संजीव गांधी IPS*
सरल नही चींटी होना
हजार प्रयास
कितने अभ्यास
के बाद भी
फिसलना गिरना
तन मन के घाव
कितने अभाव
के मध्य
तनिक भी न हो निराशा के मर्म
उठ कर चलना
जीत हार से क्या डरना
बार बार मीलो सफर तय कर
भूखे प्यासे
कठिन निर्मम पथ
पर विकटता
विफलताओं से कुचले जाने
से निर्भय
हिमालय से शिखर
से बार बार लड़ना
गिर गिर कर आगे बढ़ने
की अदम्य
महान सहास की अद्भुत गाथा है।।
सड़क पर भूखे पेट
नगें पांव
अंधकार से जूझते गांव
से अकेले निकले
मजदूर
मजबूर बालक
के बालमन की छटपटाहट
धूप धूल के बीच
आधे अधूरे अवसरों मे
लटकते भविष्य
प्रतियोगिताओं के जटिल संसार मे
छोटे पड़ते प्रयासों
विफलता
सफलता से ऊपर उठकर
शहर के बीच
बाग बगीचों मे
तितलियों भंवरे
देख कर आनंदमय
जीवन की कोमल कल्पित
सपने देख देख
बूढ़े होते होते
स्पन्दह्रदय की गहराई मे
जीवन मे बसंत
का इंतजार
चुपचाप अपने तिलिस्म मे समा जाना
मंद मंद बहती हवाओं के संग
बह जाना
अदम्य साहस का दूसरा नाम है !!!!