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*शब्दों के जादूगर की अमर कहानी उनके बेटे की जुबानी*

*शब्दों के जादूगर की अमर कहानी उनके बेटे की जुबानी*

Tct chief editor

*द आर डी डी शो कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती* शो एक ब्रैंड शो बन गया जिसमें देश विदेश के महान कलाकारों ने भाग लिया उनमें से महानकलाकार थे सीने जगत के जाने माने लेखक राकेश आनंद बक्शी। राकेश आनंद बक्शी शब्दों के जादूगर श्रद्धेय आनंद बक्शी जी के बेटे है। जिन्होंने लगभग 5000 से अधिक गाने लिखें है जो हमेशा अमर रहेंगे उन्होंने अपने लिखे तमाम गानों मे जीने की ढेरों सीख दी है और उनके लिखें गानों से मालूम होता है कि वो बेहद दार्शनिक स्वभाव के शख्स थे जो बड़ी ही आसान भाषा मे गहरी बात कह देते थे। रीटा ने बताया कि राकेश आनंद बक्शी ने श्रद्धेय आनंद बक्शी जी की अमर कथा के बारे मे बताया जो आर डी डी शो के लिए गौरव की बात थी। राकेश आनंद बक्शी ने बताया की बक्शी साहब को बचपन से नज़मे लिखने, धुन बनाने और गाने का शौक था वो कराची से बॉम्बे आना चाहते थे तो इस लिए उन्होंने इंडियन रॉयल नेवी ज्वाइन कर लिए थी ताकि शिप के द्वारा मे बॉम्बे जा सकू लेकिन उनका ये सपना एक ब्रिटिशर ऑफिसर ने पूरा किया जिसके कारण नेवी की जॉब छोड़नी पढ़ी और वो बॉम्बे आये और बॉम्बे मे काम ढूंढ़ना शुरू किया लेकिन उन्हें कुछ काम नहीं मिला और इंडियन आर्मी ज्वाइन कर ली और वो अपने लिखे गीत सीनियर ऑफिसर को सुनाया करते थे उसी बीच उनकी शादी हो गई जब उनकी पहली लड़की हुई तो उनके मन मे ख्याल आया की उनकी दादी कहा करती थी की पहली लड़की लक्ष्मी का रूप होती है और तब से लेकर उन्होंने इंडस्ट्री ज्वाइन की और पीछे मुड़कर नहीं देखा। आनंद बख्शी में एक खास कला थी कि अगर वह सिचुएशन को अच्छे से समझ लें तो वह 4-5 मिनट में ही गाने लिख दिया करते थे। यूं तो एक गीतकार के तौर पर आनंद बख्शी साहब ने इतने ढेर सारे गाने सुपरहिट गाने लिखे हैं कि उनका जिक्र एक बार में किया जाना नामुमकिन है, लेकिन आज हम आपको उनकी कलम से निकले और सदियों तक सुने जाने वाले कुछ गीतों के बारे में बताने जा रहे हैं। चिठ्ठी ना कोई सन्देश, मैंने पूछा चाँद से, लबी जुदाई, रूप तेरा मस्ताना, जिंदगी के सफऱ मे, झिलमिल सितारों का आँगन होगा, सावन का महीना, पत्थर के सनम, परदेसीओ से अंखिया मिलाना, कोरा कागज था मन मेरा, शिरडी वाले साईं बाबा और माँ पर बहुत गाने लिखें तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है, माँ मुझे अपने आंचल मे छुपा लो इत्यादि। राकेश आनंद बक्शी ने माँ का एक किसा सुनाया जब वो भारत पाकिस्तान का बटवारा हुआ तो वो अपने साथ अपनी माँ की तस्वीरें लाये थे तो उने कहा गया की तुम ने और सामान क्यों नहीं लाया है तो उनका जवाब था की पैसे तो हम कमा सकते है लेकिन माँ नहीं क्योंकि पाँच साल की उम्र मे उन्होंने अपनी माँ को खो दिया था। रीटा ने बताया की राकेश आनंद बक्शी ने उनके जीवन के कई किसे साँझा किये और बहुत अच्छा लगा क्योंकि मै बचपन से उनके शब्दों को सुनती आ रही थी और ये मेरे ले बहुत बड़ा अचीवमेंट था। राकेश आनंद बक्शी बहुत नेक दिल इंसान है धरती से जुड़े इंसान है उन्होंने श्रद्धेय आनंद बक्शी जी की अमर यात्रा पर किताब लिखी है नग्मे किस्से बातें यादें जो की हिन्दी डिजिटल संस्कृन है और मुफ्त मे पड़ सकते है। क्योंकि आनंद बक्शी साहब का कहना था कि मैं अपनी कला को बेचना नहीं चाहता। रीटा ने बताया कि हमे राकेश आनंद बक्शी मे श्रद्धेय आनंद बक्शी जी की परछाई दीखती है और बहुत अच्छा लगा उनसे मिलकर और बहुत कुछ सिखने का मौका मिला। P

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