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*चुनाव_खत्म_होते_ही_चुनाव_के_परिणाम_को_लेकर_अटकलें_लगनी_शुरू*

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Tct chief editor

14 नवम्बर 2022- (#चुनाव_खत्म_होते_ही_चुनाव_के_परिणाम_को_लेकर_अटकलें_लगनी_शुरू) –

जैसे ही चुनाव सम्पन्न हुए परिणाम को लेकर अनुमान और अटकलें लगनी शुरू हो गई है। कौन जीत रहा है और कौन हार रहा है, सबके पास अपने अनुमान और तर्क है। इस बार गुजरात चुनाव के कारण एग्जिट पोल सर्वे पर भी पाबन्दी है अन्यथा एग्जिट पोल सर्वे से भी काफी कुछ साफ हो जाता था। परिणाम आठ दिसंबर को आएगा तब तक यह अटकलों का दौर जारी रहेगा। मै हमेशा चुनाव परिणामों के अनुमान लगाने और भविष्यवाणी करने से गुरेज करता हूँ। कुछ लोग वोट प्रतिशत को लेकर भी परिणाम का अनुमान लगा रहे है। इस बार हिमाचल मे अधिक मतदान हुआ है तो कुछ लोग इसे परिवर्तन के साथ जोड़कर देख रहे है लेकिन सरकार का समर्थन करने वाले कह रहे है कि सरकार के लाभार्थी बड़ी संख्या मे वोट डालने घरों से निकले है और इस लिए अधिक मतदान हुआ है।

खैर मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल मे लगभग 76% से अधिक मतदान हुआ है। यह 1993 से लेकर 2017 तक हुए मतदान से सर्वाधिक मतदान है। इससे थोड़ा-बहुत कम मतदान 75.57% 1993 और 2017 मे हुआ था और दोनों बार परिवर्तन हुआ। एक बार कांग्रेस की सरकार आई तो दूसरी बार भाजपा की सरकार बनी और ठाकुर जय राम मुख्यमंत्री बने। 1998 का परिणाम बहुत ही दिलचस्प था। उस बार मतदान 71.23 के साथ कम रहा था। कांग्रेस और भाजपा को लगभग बराबर की सीटें मिली थी। सत्ता की कुंजी हमारे दोस्त और विधायक रमेश धवाला जी के हाथ लगी थी। इससे भी दिलचस्प बात यह हुई कि पहले कांग्रेस की सरकार बनी और वीरभद्र सिंह जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की फिर धवाला जी ने अपना समर्थन कांग्रेस से वापस लेकर भाजपा को दे दिया। फिर धूमल जी के नेतृत्व मे भाजपा की सरकार बनी। स्मरण रहे इस भाजपा सरकार को पंडित सुखराम जी की हिमाचल विकास कांग्रेस का भी समर्थन प्राप्त था।

इस चुनाव का क्या परिणाम होगा यह भविष्य के गर्भ मे है लेकिन भाजपा और कांग्रेस के चुनाव अभियान मे एक मौलिक अन्तर था। जहां भाजपा राष्ट्रीय मुद्दों पर अधिक वोट मांग रही थी वंही कांग्रेस सिर्फ अपनी दस गारंटियों के नाम पर वोट के लिए अपील कर रही थी। भाजपा के केन्द्रीय नेताओं ने प्रदेश मे धुआंधार प्रचार किया और वह राष्ट्रीय मुद्दों की अधिक बात कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार युवा मतदाताओं मे अधिक जोश था और ओ पी एस निश्चित तौर पर एक प्रमुख मुद्दा था। जयराम सरकार की कल्याणकारी योजनाओं जैसे सार्वजानिक विकास, सहारा योजना, स्वास्थ्य की हिम केयर योजना और मानदेय मे बढ़ौतरी की लोग तारीफ तो कर रहे थे लेकिन भाजपा के नेता और कार्यकर्ता इन योजनाओं का प्रचार-प्रसार उस उत्साह के साथ नहीं कर रहे थे, जैसा करना चाहिए था। भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मोदी मैजिक पर अधिक भरोसा नजर आ रहा था। मोदी जी ने भी चुनाव की घोषणा से पहले और बाद मे हिमाचल के दौरे किए। मेरे जैसे राजनिति के छात्र के लिए अब यह सारी बहस और आंकलन एक एकेडमिक विषय मात्र है। शेष 412 प्रत्याशियों के भाग्य का 8 दिसंबर को फैसला होगा।

Mohinder Nath Sofat

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।

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