HimachalMandi/ Palampur/ Dharamshala

*पालमपुर के मुख्य बाजार में घूम रहे आवारा पशुओं से लोगों की जान को खतरा एक बुजुर्ग की पहले ही जा चुकी है जान! प्रशासन खामोश और संस्थाएं बनी बैठी हैं अनजान!!*

1 Tct
Tct chief editor

पालमपुर के मुख्य बाजार में घूम रहे आवारा पशुओं से लोगों की जान को  खतरा एक बुजुर्ग की पहले ही जा चुकी है जान! प्रशासन खामोश और संस्थाएं बनी बैठी हैं अनजान!!
पालमपुर में आवारा पशुओं के आतंक से लोग काफी परेशान नजर आ रहे हैं ।
अभी कल ही जॉय रेस्टोरेंट के मालिक जितेंद्र जी को एक आवारा सांड ने कार के पीछे से चुपचाप से निकलकर उन्हें इतनी जोर से झटका दिया की उनकी जान बड़ी मुश्किल से बची। यदि उस आवारा सांड का सींग केवल मात्र 2 इंच और ऊपर लग जाता तो उनकी जान शत-प्रतिशत चली जाती ।परंतु शुक्र है उस भगवान का के उस सांड की हिट जितेंद्र जी की जान में केवल एक डेढ़ इंच का फर्क रहा ।
ट्राइसिटी टाइम्स से बात करते हुए उन्होंने अपने जख्म को दिखाया तो हम हैरान थे कि कैसे ईश्वर ने उन्हें जीवन दान दिया ,उन्हें दूसरा जीवन दिया ।
यह पहली घटना नहीं है इससे पहले भी बाजार में एक बहुत ही सेवक किस्म के आदमी उधो राम की जान आवारा सांड द्वारा ली जा चुकी है ।और वही सांड फिर से बाजार में घूम रहे हैं। जहां पर भी उन्हें सब्जी वाला या किसी की स्कूटी पर सब्जी दिखाई देती है यह आवारा पशु उस ओर पागलों की तरह झपट पड़ते हैं ।
ये पशु किरयाना स्टोर के बाहर पड़े सामान में अपना मुंह मारते फिरते हैं और सामान को चट कर जाते हैं वही सामान जो झूठा हो जाता है फिर से ग्राहकों की सेवा में प्रस्तुत हो जाता है ।दुकानदार भी कहां और कितना सामान फेंकेंगे ।
जॉय रेस्टोरेंट के मालिक ने बताया कि उन्हें पता नही कि कब वह आवारा पशु /सांड कार की डिक्की के पास से निकला और उन्हें उछाल कर इतनी जोर से सींग मारा की उनके होश उड़ गए। और सचमुच यदि हिट थोड़ा सा ऊपर होता तो उनकी जान जा सकती थी।
दिन में जब बाजार में बुजुर्ग महिलाएं और बच्चे अपनी शॉपिंग कर रहे होते हैं तो वह इन आवारा पशुओं से डरे सहमे रहते हैं ।

माना प्रशासन के पास समय नहीं है परंतु कोई ना कोई तो इस समस्या से निजात दाने दिलाने के लिए आगे आएगा। प्रशासन किसी को तो हुकम करेगा कि इन आवारा पशुओं का बाजार से बाहर निकाल कर के ही दूरदराज के जंगलों में छोड़ दिया जाए ताकि लोग इन आवारा पशुओं के खोफ और आतंक से मुक्त होकर बेखौफ होकर शॉपिंग कर सके, और अपनी जान बचा सके ।

वैसे तो समाज में बहुत सी सामाजिक संस्थाएं हैं जो पशु के संरक्षण और उनके लिए कार्य करती है ,परंतु भीड़भाड़ भरे बाजार में इंसानों के संरक्षण और उनकी जान की रक्षा का जिम्मा कौन लेगा? यह एक ज्वलंत प्रश्न है। जिसका उत्तर शहर के आम नागरिक ढूंढ रहे हैं।
परंतु डर के साए में जीने के सिवाय उनके पास और कोई चारा नहीं है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button