*एक छोटी सी कहानी: एक रुपया हैं क्या ? लेखक -विनोद शर्मा वत्स*
एक छोटी सी कहानी आप सभी के लिये
एक रुपया हैं क्या?
लेखक –विनोद शर्मा वत्स
इस ईश्वर ने भी कमाल के पुतले बनाये है जिनकी जनसँख्या पूरे संसार मे अरबो में है लेकिन सब के जीने का अंदाज़ अलग हैं ठीक वैसे ही जैसे शब्द तैरते रहते हैं ब्रमांड में, उन्ही तैरते शब्दो को जब कोई पकड़ कर एक माला का रूप देता हैं तो वो माला एक कहानी का रूप लेकर समाज को समर्पित हो जाती है ऐसी ही कहानी हैं एक रुपया हैं क्या?
एक ऐसा व्यक्ति जिसका अंदाज़ बिलकुल निराला है शायद मैने भीख माँगने वाले लोगो मे बहुत से किरदार देखे होंगे लेकिन जैसे किरदार से मै आपको मिलवाऊंगा वो अपने आप में निराला हैं वो अपनी भीख मांगने की चलती फिरती दुकान व्यंजन से लेकर आनंद नगर और श्री जी से लेकर मीरा टॉवर तक इस हद में ये भीख मांगता हैं।
5 फुट 2 इंच का कद कभी दाढ़ी कभी शेव बालो को कभी बहुत बड़ा कभी बकरे की तरह मेहंदी लगा के मिलता है हमेशा बोनी के चक्कर मे लगा रहता है इसकी आँखे एक दम एक्ससरे से बढ़कर है इसका रेट एक रुपये से लेकर आगे जो भी देदे उसकी मर्जी
जब किसी को देखता है तो उसकी आंखें बता देती है कि इससे भीख मिलनी है।
और सीधा सामने जाकर एक रुपया है क्या?
देने वाले को समझ नही आता ये रूपया मांग रहा है या ये पूछ रहा है कि तुम्हारे पास एक रुपया है।
ये तो पक्का है कोरोना के बाद भीख मांगने का धंधा जोरो पर है देने वाला अपनी आंखों के सामने कोरोना के मंज़र लाता है और तुरंत भीख दे देता है क्योंकि सब यही रह जाना है
शाम तक मेरे हिसाब से कम से कम खा पीकर
500 रुपये तो कमा लेता है
बोनी होने पर कार ज़मीन पेड़ सबको धन्यवाद कहता है कि आज बोनी हो गई। लेकिन जैसे ही
शाम के बाद रात होती है बंदा गायब और सवेरे जैसे ही सूरज निकलता है तो ये जनाब भी किसी सड़क के या किसी फुटपाथ पर शराब के नशेमें टल्ली होकर पड़े मिलते हैं जैसे ही आँख खुली, कस्टमर देखा तो शुरू, एक रुपया है क्या?
विनोद शर्मा वत्स