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*अवतार( वे ऑफ वाटर) विनोद वत्स*

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अवतार( वे ऑफ वाटर)

कल वे ऑफ वाटर देखी तो उसपर कुछ लिखने का मन हुआ और आज आप साथियो के लिये लिख डाला।
हमारे शस्त्रों में, सनातन में, हमारे वेदों में, सहस्त्र वर्षों से  इस बात का उल्लेख किया गया है कि मानव शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है। वो पाँच तत्व है धरती आकाश जल वायु अग्नि हम और हमारे फिल्ममेकर शायद उस सोच तक नही पहुँचे जहाँ कैमरून साहब पहुँच गये वो कहावत है ना घर की मुर्गी दाल बराबर हम अपने शास्त्रों को अनदेखा कर इधर उधर भटक रहे है  वेदों में स्पस्ट लिखा है कि प्रकृति की पूजा करो वो उन्होंने अवतार में दिखाया कि जीवन प्रकृति से जुड़ने  से ही है अन्यथा मानव अपने आप नरक के गर्भ में चला जायेगा अब कैमरून साहब ने अवतार वे ऑफ वाटर में जल को पकड़ा और उन्होंने ये दिखाना चाहा कि मानव अपने हित के लिये जल के साथ साथ उन बेजुबान समुंद्री जीवो का भी अंत करने में तुला है जो मानव सभ्यता के लिये अच्छा नही है
उसे लगता है वो अमर हो जायेगा जो मात्र उसका वह है इस सोच को कैमरून साहब ने   इस फ़िल्म में बहुत ही बहुत ही अच्छे तरीके से दिखाया है आप कितने भी कमजोर हो लेकिन   बाहरी हमला होने पर आप अपना घर, अपनी ज़मीन, अपनी सभ्यता को ,बचाने के लिए एक जुट हो जाते है और होना भी चाहिये, जो कैमरून साहब ने अपनी फिल्म में दिखाया। अभिनय ,इफ़ेक्ट्स, कहानी ,पटकथा
एडिटिंग, कैमरा, सभी पहलुओं पर कमाल किया है फ़िल्म देखते हुये कैमरून साहब आपको एक अलग दुनिया में ले जाते है ये उनका कमाल  है इसके लिये वो बधाई के पात्र है
अब पार्ट 3 की कहानी जो तीसरी फिल्म आएगी  (वे ऑफ फायर) ये टाइटल मैने अभी से दे डीया जो मुझे समझ आया क्योंकि आपने प्रकृति और जल दिखा दिये है अब आप अग्नि पर जायेगे क्योंकि मानव सूरज के करीब जाने की फिराक में लगा हुआ है क्योंकि हवा में जीवन हो नही सकता  इसलिये अब वो कोई अग्नि से भरा ग्रह जो सूरज जैसा दिखाई देता होगा उनकी कल्पना में  जिस पर  मूर्ख मानव को उसपर चढ़ाई  करते दिखायेगे और उस पर जीवन को दिखा कर मानव के द्वारा उसे हड़पने का तरीका दिखाएंगे वो दीगर बात है दोनो की तरह घमंडी आसमानी मानव वहा भी कामयाब नही होगा ये मेरी सोच है कुल मिलाकर सभी को ये फ़िल्म देखनी चाहिये।
विनोद वत्स की कलम से

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