*हिमाचल_मंत्रीमंडल_का_विस्तार, #चोर_दरवाजे_का_भी_हुआ_इस्तेमाल) — लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
09 जनवरी 2023- (#हिमाचल_मंत्रीमंडल_का_विस्तार, #चोर_दरवाजे_का_भी_हुआ_इस्तेमाल) —
चिरप्रतीक्षित हिमाचल के मंत्रीमंडल का विस्तार कर दिया गया है। 7 नये मंत्रियों को रविवार को राजभवन मे शपथ दिलाई गई। अभी भी तीन रिक्त-स्थान रख लिए गए है। स्मरण रहे 8 दिसंबर को विधानसभा के चुनावों की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री की तो शपथ हो गई थी लेकिन मंत्रीमंडल का विस्तार लगातार टलता जा रहा था। हांलाकि मंत्रीमंडल का गठन मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, लेकिन यह देरी और चोर दरवाजे का इस्तेमाल कर 6 मुख्य- संसदीय सचिवों की शपथ यह बता रही है कि कांग्रेस के विधायकों मे मंत्रीमंडल मे शामिल होने की जबरदस्त महत्त्वाकांक्षा थी और कई तरह के दबाव और सिफारिशें काम कर रही थी। अटल बिहारी वाजपेई की एन.डी.ए सरकार ने 2003 मे मंत्रीमंडल की सीमा निर्धारित कर दी थी। अब कोई भी प्रदेश विधायकों की संख्या के 15% विधायकों को मंत्री बना सकता है लेकिन हिमाचल जैसे छोटे प्रदेशों को छूट देते हुए उनकी कम से कम संख्या 12 तय की गई है। इस नियम के बाद भारी भरकम जम्बू साइज मंत्रीमंडलों से राहत मिली और मंत्रियों पर होने वाले खर्च मे बचत होने लगी, लेकिन मंत्रीमंडल की सीमा तय करते हुए उसमे संसदीय सचिवों को शामिल नहीं किया गया था।
मेरी समझ मे यह राजनैतिक भूल और एक बड़ी चूक थी। इसी चोर दरवाजे का लाभ उठाते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू ने 6 विधायकों को मुख्यसचिव बना कर इनके लिए सुख-सुविधाओं का प्रबंध कर दिया है। जैसा कि मैने कहा कि मंत्रीमंडल का गठन मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और यह उनके विवेक पर निर्भर करता है, लेकिन फिर भी मंत्रीमंडल के गठन के समय सभी वर्गों और क्षेत्रों का सन्तुलन बनाने की परम्परा है। पिछले कल हुए विस्तार मे इस परम्परा का ईमानदारी से निर्वाहन नहीं किया गया है। कांगड़ा जिला जो प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है वहां से केवल एक मंत्री बनाया गया है, जबकि दूसरे बड़े जिले से कांग्रेस के एक मात्र विधायक चन्द्रशेखर को शामिल नहीं किया गया है और तीसरे बड़े जिले शिमला से तीन मंत्री बना कर बड़ा शेयर दिया गया है। कुछ जिलों को फिलहाल बिना मंत्री के ही सन्तोष करना होगा। सोलन जैसे छोटे जिले को भाजपा को शून्य देने का इनाम देते हुए एक कैबिनेट मंत्री और दो मुख्य संसदीय सचिव दिए गए है। खैर अभी तीन रिक्त-स्थानों को भरने और विधानसभा के उपाध्यक्ष की नियुक्ति के बाद तस्वीर और साफ होगी।
संसदीय सचिवों की नियुक्ति ने यह तो साफ कर दिया है कि सरकार की फिजूल खर्ची को रोकने की कोई मंशा नहीं है और सरकार का व्यवस्था परिवर्तन का दावा भी सच्चाई से दूर है, क्योंकि सरकार ने संसाधन बढ़ाने के नाम पर डीजल पर 3 रूपए प्रति लीटर वैट बढ़ाकर जनता को मंत्रीमंडल विस्तार के दिन मंहगाई का तोहफा दिया है। मेरी समझ मे इस बढ़ौतरी के चलते दाड़लाघाट और बरमाणा सीमेंट उद्योग और ट्रांसपोर्टर्स के विवाद का हल निकालना और मुश्किल हो सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए अब जिसको भी उद्योग मंत्रालय मिलेगा वह प्राथमिकता के आधार पर इस विवाद का समाधान खोजने का प्रयास करेगें।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।
Fact