*पैरामिलिट्री बल के सदस्य पुरानी पेंशन के पात्र – दिल्ली हाईकोर्ट*
पैरामिलिट्री बल के सदस्य पुरानी पेंशन के पात्र – दिल्ली हाईकोर्ट ।
मनबीर कटोच
दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 जनवरी को
फैसला देते हुए कहा कि केन्द्र के सभी केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल जो -सी ए पी एफ, पैरामिलिट्री ओर अर्धसैनिक नाम से जानें जाते हैं जिनमे बीएसएफ , सीआरपीएफ ,एसएसबी, आइटीबीपी , असम राइफल्स इत्यादि सभी बलों का गठन सेना की तरह “भारत सघ के सशस्त्र बल* (आर्म्ड फोर्सेज ऑफ की यूनियन ) के रूप में ही हुआ है इसलिए सभी बलों के सदस्य पुरानी पेंशन के पात्र हैं। गृह मंत्रालय द्वारा सशस्त्र बलों (पैरामिलिट्री के सदस्यों को) पुरानी पेंशन योजना से बाहर करना भेदभाव और समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन माना है , दिल्ली हाईकोर्ट का यह
बहुत ही सही निर्णायक एवं सराहनीय फैसला है। पैरामिलिट्री के सदस्य जो देश की आन्तरिक सुरक्षा ओर सरहदों की रक्षा में अपनी जान तक की परवाह किए बिना हमेशा प्रतिकूल परिस्थितियों 24 घंटे रात दिन लगातार अहम भूमिका निभाते हुए , देश की संप्रभुता की रक्षा करते हैं उनकी संगठनात्मक संरचना, रणनीति, प्रशिक्षण , सेवा , सजा के कोर्टमार्शल तक के सभी नियम सेना के समान ही लागू रहते हैं । संसद में भी कई सांसदों द्वारा पैरामिलिट्री के सदस्यों को सेना की तर्ज में स्वास्थ्य संबंधी सुविधा, कैंटिन सुविधा , कल्याण बोर्ड के गठन जैसी मूलभूत सुविधाओं को लागू करने की बात रखी जाती रही है ,कुछ कल्याणकारी योजना की घोषणा तो हुईं लेकिन धरातल पर अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। रिटायरमेंट के बाद पैरामिलिट्री के सदस्यों को अपनी स्वास्थ्य सुविधा ओर कई अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए आ रही समस्याओं को निपटने में लिए बहुत ही ज्यादा मुश्किलों से जुझना पड रहा है ।पैरामिलिट्री बलों के लिए *सेंट्रल सिविल सर्विस नियम *की जगह अलग सेवा और पेंशन नियमावली की मांग गृह मंत्रालय में लम्बे समय से रखी जाती रही है लेकिन हमेशा नजरअंदाज ही किया जाता रहा है। देश की जनता भी शहीद दिवस आयोजनों में भारतीय सेना के बलिदानों को तो याद करती है लेकिन पैरामिलिट्री के गुमनाम जांबाज नायको के योगदान की सराहना करने में हमेशा चूक जाते हैं जबकि आजादी के बाद हर युद्ध में सेना के साथ पैरामिलिट्री के सैकड़ों जांबाज शूरवीर अपने शौर्य और वीरता का परिचय दे चुके हैं । आजतक सरहदों ओर आंतरिक सुरक्षा में सेना से ज्यादा कुर्बानियां पैरामिलिट्री सदस्यों ने दी है ।आज पड़ोसी देशों की विस्तारवादी नीति और आतंकवादियों को बढ़ावा देने वाली सोच से पैरामिलिट्री के सदस्यों की भुमिकाओं में बहुत ज्यादा विविधता आई है, अनुमान के अनुसार हर साल पैरामिलिट्री के 225 सदस्य ड्यूटी के दौरान अपनी जान गवा देते हैं। जिसमें ज्यादा घटनाएं माओवादी, आतंकवादियों के प्रभावित क्षेत्रों में होती है।
नियमानुसार पैरामिलिट्री के सदस्य सेवा के दौरान कोई भी संगठन नहीं बना सकते ओर न ही किसी अन्य संगठन में भाग ले सकते हैं ।आज अपना पूरा जीवन अनुशासन और देश प्रेम की भावना से देश को देने वाले सेवानिवृत्त पैरामिलिट्री सदस्यों को अपने मूलभूत हितों के लिए संगठन बनाने , रैली धरने के ओर अपनी अदालती लड़ाई के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जो एक बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है। केन्द्र सरकार को पैरामिलिट्री सदस्यों द्वारा दी जा रही सेवाओं ओर पैरामिलिट्री के सदस्यों के मनोवल को ध्यान में रखते हुए संवेदनशील होकर मन्थन कर हाईकोर्ट के फैसले को सही मानते हुए पैरामिलिट्री सदस्यों को उनकी पहचान ,सम्मान जिसके वह सही हकदार है उन्हें जल्द दिलवाकर अपनी उच्च कोटी की राजनीतिक कार्यकुशलता का परिचय देने में अभी देरी नहीं करनी चाहिए।
मनवीर चन्द कटोच
गांव भवारना
मुख्य प्रवक्ता एक्स पैरामिलिट्री कल्याण संगठन हिमाचल प्रदेश
मोबाइल 8679710047