*चुनाव_आयोग_का_फैसला_और_उद्वव_ठाकरे_को_बड़ा_झटका* महेंद्रनाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
19 फरवरी 2023- (#चुनाव_आयोग_का_फैसला_और_उद्वव_ठाकरे_को_बड़ा_झटका)-
शिवसेना के दो गुटो शिंदे और उद्वव के नेतृत्व मे शिवसेना के आरक्षित चुनाव निशान को लेकर विवाद चल रहा था। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए शिंदे गुट को बतौर असली शिव सेना के मान्यता प्रदान कर दी है और चुनाव निशान तीर-कमान भी शिंदे के नेतृत्व वाली मान्यता प्राप्त शिव सेना को दे दिया है। तीर-कमान की लड़ाई चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी जा रही थी। इस लड़ाई की अगर विवेचना की जाए तो मेरी समझ मे आता है कि लोकतंत्र मे बहुमत का बड़ा महत्व है और शिवसेना मे बहुमत शिंदे गुट के साथ था। अभी तक यह समझा जाता था कि शिवसेना ठाकरे परिवार की परिवारिक पार्टी है। पहले इसके बालासाहब ठाकरे सुप्रीमो थे और उसके बाद उनके सपुत्र उद्वव ठाकरे सुप्रीमो माने जाते थे। मातोश्री से आया आदेश सभी शिव सैनिको के लिए ब्रह्म वाक्य हुआ करता था। फैसले मे एक महत्वपूर्ण बात चुनाव आयोग ने यह कही है कि उद्वव ठाकरे ने जो बिना चुनाव के लोगो को नियुक्त किया है वह असंवैधानिक है।
इससे पहले भी जब कांग्रेस विभाजित हुई थी तो भी दो बछड़ों की जोड़ी चुनाव चिन्ह के लिए कानूनी विवाद हुआ था। उस समय वह चुनाव निशान किसी भी गुट को न देकर चुनाव आयोग ने निशान जब्त कर लिया था। दोनो गुटो को नए चुनाव निशान आबंटित किए गए थे। जब जनता पार्टी का विभाजन कर भाजपा बनी तो भाजपा ने जनता पार्टी के अधिकृत चुनाव चिन्ह हलधर पर दावा न करते हुए नया निशान “कमल” आबंटित करवाकर और अपनी पार्टी का विस्तार कर असली जनता पार्टी के तौर पर स्थापित कर लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नये निशान के साथ और आयोग के फैसले के बाद उद्वव अपने गुट की शिवसेना को कैसे आगे बढ़ाते है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के शिव सैनिक उद्वव द्वारा कांग्रेस और एन सी पी के साथ मिलकर सरकार बनाने के निर्णय को अच्छा नहीं मानते है। वह इस मामले मे बालासाहब के इस ब्यान को याद करते है कि मै कांग्रेस से गठबंधन करने से बेहतर शिव सेना को बंद कर दूंगा। मेरे विचार मे भले अब शिंदे गुट के पास तीर- कमान है और चुनाव आयोग ने उन्हे शिव सेना की मान्यता दे दी है लेकिन असली शिवसेना बनने के लिए उन्हे अगले विधानसभा चुनाव मे बहुमत हासिल करना होगा।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।
हेडिंग title में हिमाचल प्रदेश सरकार पढ़ा जाए मध्यप्रदेश सरकार नहीं