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*Editorial:हिमाचल_के_तीन_विधायकों_को_साधुवाद*by M N Sofat*

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*Editorial M N Sofat हिमाचल_के_तीन_विधायकों_को_साधुवाद*

(#हिमाचल_के_तीन_विधायकों_को_साधुवाद)-

हिमाचल प्रदेश के तीन विधायकों संजय अवस्थी, राजेश धर्माणी और विनोद सुल्तानपुरी ने सरकारी खर्च बचाने के उद्देश्य से पी.एस.ओ न लेने की घोषणा की है। स्मरण रहे संजय अवस्थी मुख्य संसदीय सचिव भी है। उनके इस निर्णय की जम- कर प्रशंसा की जानी चाहिए। हालांकि दुखद तथ्य यह है कि ऐसे प्रशंसनीय कदम जिसको जनसमर्थन मिलना चाहिए वह मिलता नहीं है। मैने भी बतौर मंत्री मिलने वाली कोठी लेने से इंकार करते हुए दो कमरो के फ्लैट मे ही रहने को प्राथमिकता दी थी और कोटर्म कर्मचारी भी नहीं रखा था। खैर अब देखना होगा और कितने विधायक अपने इन तीन साथी विधायकों का अनुकरण करते है।

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार जी ने भी अपने साथ चलने वाली पुलिस एस्कोर्ट लौटाकर अनुकरणीय उदाहरण पेश किया था। उस समय भी सोशल नेटवर्किंग पर अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों से शांता जी का अनुकरण करने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन उस समय उम्मीद करने वालो के हाथ निराशा ही लगी थी। काबिले गौर है यह तीनों नेता सत्तारूढ़ दल कांग्रेस से संबंधित है और इनका यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब प्रदेश भारी कर्ज और खर्च के दबाव मे है। उनके इस निर्णय से दोहरा फायदा होगा पहला खर्च मे कटौती होगी और दुसरा उन स्थानों पर स्टाफ मिल सकेगा, जहां पर पद खाली चल रहे है।

यहां यह दर्ज करना जरूरी है कि 1992 तक किसी भी विधायक को पी.एस.ओ नहीं दिया जाता था। मेरी समझ मे पी.एस.ओ के बिना भी विधायक का काम चल सकता है। वर्तमान मे हिमाचल सरकार को हर तरह की फिजूल खर्ची रोकने की जरूरत है। नई कांग्रेस सरकार भी पिछली सरकार की तर्ज पर कर्ज लेने के लिए मजबूर है। 1500 करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है और 2000 करोड़ लिया जा रहा है। ऐसी स्थिति मे इन तीन नौजवान विधायकों द्वारा लिए गए इस सार्थक निर्णय का समर्थन करता हूँ और इन्हे हार्दिक बधाई देता हूँ।पाठकों से निवेदन करता हूँ कि दिल खोलकर इन विधायकों के इस कदम का समर्थन करें।

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।

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