Tuesday, September 26, 2023
Mandi/ Palampur/ Dharamshala*पालमपुर नगर निगम के पार्षद मेयर डिप्टी मेयर सब बेबस नजर...

*पालमपुर नगर निगम के पार्षद मेयर डिप्टी मेयर सब बेबस नजर आ रहे हैं*

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*पालमपुर नगर निगम के पार्षद ,मेयर ,डिप्टी मेयर सब बेबस नजर आ रहे हैं*

Tct chief editor

पालमपुर नगर निगम के जनता के प्रतिनिधि जो जनता द्वारा चुने गए हैं वह लाचार और बेबस नजर आ रहे हैं। वे तो जनता के हित के कार्य करना चाहते हैं और जनता की समस्याओं को जल्द से जल्द करना चाहते हैं ताकि जनता परेशान ना हो तथा उनकी समस्या शीघ्र अति शीघ्र हल हो जाए क्योंकि उन्हें आने वाले चुनाव में भी जनता का सामना करना है परंतु यहां पर सीन ही दूसरा चल रहा है।
हाल ही में देखा गया है कि जनता द्वारा उठाए गए मुद्दों को पार्षदों और मेयर द्वारा कर्मचारियों को उन समस्याओं को हल करने के निर्देश दिए गये और यह कार्य ऐसे नहीं थे जिसके लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता थी या जिसके लिए किसी सरकारी अप्रूवल की आवश्यकता होती है ।जैसे कहीं पर लीकेज है उसके लिए ₹200 या ₹400 का खर्चा होता है वह आराम से किया जा सकता है ।
कहीं पर सड़क के किनारे ग्रेटिंग /जाली टूट गई है उसे बदलना है उसका खर्चा मात्र 300 या ₹400 होता है आराम से 2- 4 घंटे में हो सकता है ।
कहीं पर खड्डा पड़ा है और वह दुर्घटना का कारण बन सकता है उसे बंद करने के लिए ₹100 का खर्चा भी नहीं है केवल कुछ मिट्टी या थोड़ा सा सीमेंट भरना है और वह भी एक-दो घंटे में हो सकता है ।
उस इलाके के पार्षद नगर निगम के फील्ड स्टाफ को कर्मचारियों को इंजीनियर को निर्देश देते हैं कि इस कार्य को तुरंत करवा दिया जाए परंतु देखते ही देखते वह कर्मचारी अधिकारी पार्षदों को नियम पढ़ाने में लग जाते हैं और जो काम 2 घंटे का होता है उसे वह 2 महीने और 4 महीने में भी पूरा नहीं करते, उनका बस चले तो वह पार्षदों के 2 घंटे के काम को 2 साल में भी पूरा ना करें।
यह मैं स्वयं से नहीं लिख रहा हूं जनता से फीडबैक ली है और मेरे सामने ही ऐसी 2 घटनाएं हो चुकी हैं कि पार्षदों ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए यह कार्य एकदम से कर दिया जाए परन्तु कर्मचारी तो कर्मचारी है वह तो कानून की किताब लेकर बैठ जाएंगे और नियम पढ़ाना शुरू कर देंगे जिससे पार्षदों की और मेयर या डिप्टी नियर मेयर की क्रेडिबिलिटी पर बहुत असर पड़ रहा है ।और यह असर यहीं तक सीमित नहीं है यह असर एमएलए तक जाता है और अंततः सरकार को बदनाम करता है।
जनता की शासन ( MLA )से यह दरख्वास्त है ऐसे कर्मचारियों का तुरंत संज्ञान लिया जाए तथा उन पर त्वरित कार्य कार्यवाही करके सिस्टम को सुधारने की कोशिश की जाए क्योंकि ऐसा लगता है कि यह लोग मेयर डिप्टी मेयर या पार्षदों की एक बात नहीं सुनते ना जाने ऐसा क्यों हो रहा है यह भी एक जांच का विषय है। शासन बदल गया पर सोच नहीं बदली शायद

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