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*बच्चियां और सड़ी सी व्यवस्था*

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बच्चियां और सड़ी सी व्यवस्था

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राजनीतिक नेताओं को दोष देने से पहले जनता को भी अपने अंदर झांक लेना चाहीए कि गंदी राजनितिक और भ्रष्ट राजनितिक व्यवस्था मे हम कहां खडे हैं । समाज बच्चियों को गर्भ में मारता रहा है और वर्तमान में भी जनता भ्रष्ट और ब्लातकारियो को वोट करती है । मौजूदा ताजा उदाहरण सब के सामने है । एक तरफ अतीक जैसें बाहुबली लोगो के खात्मे पर पीठ ठोंकी जाती है दुसरी तरफ एक यौन शोषण के आरोपी सांसद पर मुंह बन्द हो जाता है , कार्यकर्ताओं का भी और सत्ता के हाकमो का भी । यह भी सत्य है केवल आरोप से ही कोई गुनाहगार साबित नही होता लेकिन जांच भी तो आवश्यक है सत्यता जानने के लिय । यह अफसोस नाक पहलू है की शिकायत दर्ज करवाने के लिए भी देश की बेटियों को सर्वोच्च न्यायलय का रुख करना पड़ा । यह सामाजिक और कानून व्यवस्था का दर्दनाक पहलू है जो यौन शोषित की शिकार बेटियों को अपने पर हुए अत्याचार की सार्वजनिक रुप से नुमाइश तब करनी पड़े जब हर सरकार की कवायद महिलाओं को सुरक्षा देने की है । जरा सोचिए अगर सर्वोच्च न्यायलय न हो तो क्या हालत बना दे व्यवस्था एक आम इनसान की और उस आम इनसान को भी शर्म नही आती जब अपराध के आरोपियों का पूरा डाटा सामने होता है फिर भी उन्हें वोट करके सबसे बडी पंचायत में प्रतिनिधि के रूप में बिठा देते है । इस समस्या को समझिए यह हमारे घरों की है हमारे देश की है । व्यवस्था में सुधार की कोशिश कीजीए यह सुधार राजनितिक दलों के बस का नही है पंगु हो चुकी है राजनितिक व्यवस्था । हम जैसें लोग लिखते है लेकिन फिर भी भय होता है कि पता नही कब कोई गाज हम पर गिर जाए । इसलिए अपने वोट की शक्ति का इस्तेमाल समझ दारी से कीजीए

Umesh Bali Tct

। “उबाली अंश “

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