Thursday, September 28, 2023
Editorial*Editorial:- भारतवर्ष में इंसान की जान की कीमत कुछ भी नहीं।*

*Editorial:- भारतवर्ष में इंसान की जान की कीमत कुछ भी नहीं।*

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भारतवर्ष में इंसान की जान की कीमत कुछ भी नहीं।
भारत में इंसानों की जीवन की कोई कीमत नहीं है हां एक पेड़ की कीमत इंसान के जान से ज्यादा है। बंदरों की कीमत इंसान की जान से ज्यादा है ,कुत्तों की कीमत भी इंसान से ज्यादा है, आवारा पशुओं की भी कीमत ज्यादा है, परंतु सबसे सस्ता इंसान है ।

एक पेड़ नहीं कटना चाहिए जो सड़क पर झुका हुआ हो उस पेड़ की वजह से अगर वह बस पर गिर जाए तो बेशक 10-20 जानें चली जाए ,उसका कोई फर्क नहीं पड़ेगा ।
इसी तरह से आवारा कुत्ते किसी बच्चे को नोच कर उसकी जान ले ले कोई फर्क नहीं पड़ता परन्तु आवारा कुत्तों पर कंट्रोल करना गुनाह है ।एक पेड़ की वजह से किसी की जान चली जाए वह सही है परंतु पेड़ नहीं करना चाहिए ।कुछ पेड़ों की वजह से बड़े-बड़े प्रोजेक्ट रुक जाए ,सड़के ना निकले ,टनल ना बने ,कोई बात नहीं ,परंतु पर्यावरणविद पेड़ को कटने नहीं देंगे, चाहे पेड़ कटने के बाद उस प्रोजेक्ट में 1000 2000 लोगों को रोजगार मिलता है उसकी उन्हें कोई परवाह नहीं।

नीचे दिए गए चित्र में आप देख सकते हैं कि यह पेड़ एक सरकारी इमारत पर लगभग 30 से 40 डिग्री तक झुका हुआ है और यह चीड़ का पेड़ काफी पुराना है। अगर तूफान की गति कुछ ज्यादा बड़ी तो यह पेड़ सीधा जाकर सरकारी इमारत पर गिरेगा जिसमें छोटे-छोटे बच्चे महिलाएं बुजुर्ग और सरकारी कर्मचारी रह रहे हैं, मेरे हिसाब से इस इमारत में 6 क्वार्टर हैं और अगर चार इंसान भी एक क्वार्टर में रह रहे हो तो इस तरह से इसमें 24 से 30 आदमी रह रहे हैं ,अगर यह पेड़ गिर गया तो इस पेड़ के गिरने से कम से कम पांच सात लोगों की मृत्यु होना लाजमी है । सरकारी इमारत जो करोड़ों की है वह भी ध्वस्त हो जाएगी ,इसका सीधा सा मतलब है कि इस पेड़ की कीमत करोड़ों में है ।
पता नहीं क्यों हमारा सिस्टम इस बात की अनुमति नहीं देता कि जो खतरनाक पेड़ है उन्हें काट दिया जाए और कटे पेड़ की जगह 4 पेड़ और लगा दिए जाएं ,ताकि पर्यावरण भी बचा रहे और लोगों की जान भी बची रहे ।
अभी हाल ही में शिमला में एक युवती ने तीसरी मंजिल से बन्दरों से डर कर छलांग लगा दी और उसकी जान चली गई ।
शिमला हो या मनाली या कसौली हो धर्मशाला हो या पालमपुर हो हर जगह बंदरों का आतंक है, परंतु हम बंदरों को मार नहीं सकते बेशक उनकी वजह से किसी दुपहिया वाहन वाले की जान चली जाए ,बच्चे स्कूल जाने से डरने लगें ,लोग उनके आतंक से परेशान रहें इस बात का किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता।
हमारी सरकार और सिस्टम और साथ में तथाकथित स्वयंसेवकों को भी इस बात की ओर ध्यान देना चाहिए किकोई भी ऐसा कार्य या विरोध नही होना चाहिए जिससे इंसान का जीवन खतरे में पड़ जाए तथा उसको रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का विरोध भी नहीं होना चाहिए ।
हम अपनी राजनीति को चमकाने के लिए किसी भी गलत मुद्दे का समर्थन कर देते हैं जो कि सरासर गलत है।

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