*’कलाम को सलाम सैम को सैल्यूट’ दो:- _महान_व्यक्तियों_की_मुलाकात_मे_से_निकली_प्रेरणादायी_कहानी*
09 मई 2023- (#दो_महान_व्यक्तियों_की_मुलाकात_मे_से_निकली_प्रेरणादायी_कहानी)-
एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक मे छपी एक मुलाकात की रिपोर्ट दिल को छूने और आपको प्रभावित कर देने वाली है। हालांकि आज वह दोनो महान व्यक्तित्व के मालिक इस दुनिया मे नहीं है लेकिन उनकी भूली-बिसरी यादें आज भी जिन्दा है। वह दोनो उस महान पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते थे, जिस पीढ़ी के अधिकांश लोग कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार और देशभक्त हुआ करते थे। इस छोटे से प्रसंग को इसलिए मै अपने ब्लॉग का हिस्सा बना रहा हूँ ताकि वर्तमान पीढ़ी उन महान विभूतियों से प्रेरणा ले सकें। जब डा अब्दुल कलाम राष्ट्रपति थे उस दौरान उन्होने तमिलनाडु के कन्नूर का दौरा किया था। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार मिसाइल मैन कलाम को वहां पहुंचने पर पता चला कि फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ वहां के सैन्य अस्पताल मे भर्ती है।तत्कालिन राष्ट्रपति उन्हे अस्पताल मे मिलने पहुंचे और दोनो मे काफी देर बातचीत हुई। इसी बातचीत के दौरान सैम ने राष्ट्रपति को बताया कि उन्हे लगभग 20 वर्षों से फील्ड मार्शल के पद की पैंशन का भुगतान नहीं किया गया। इस बात ने राष्ट्रपति को आश्चर्यचकित कर दिया। सैम ने यह कह कर कलाम साहब को भावुक कर दिया कि मुझे खेद है कि मै अपनी बिमारी के चलते उठ नहीं पा रहा हूँ और देश के सुप्रीम कमांडर और देश के लोकप्रिय राष्ट्रपति को सैल्यूट नहीं कर पा रहा हूँ। यह सुनने बाद कलाम ने सैम का हाथ पकड़ लिया और दोनो की आंखो मे आंसू थे।
राष्ट्रपति दिल्ली पहुंचे और एक सप्ताह के भीतर बकाए के साथ सैम की पूरी पैंशन राशि पास कर दी। लगभग 1.25 करोड़ रूपए का चैक, रक्षा सचिव के जरिए सैम के पास एक विशेष विमान से भेजा गया। कलाम साहब का यह एक्शन उन्हे महान बनाता है तो सैम भी कम नहीं थे। उन्होने भी ऐसा काम किया कि वह भी महानता मे कलाम साहब के समकक्ष आ खड़े हुए। सैम ने कलाम साहब द्वारा भेजा गया चैक प्राप्त किया और तुरंत इसे सेना के राहत कोष मे दान कर दिया। मै दोनो को और उनकी महानता को नमन करता हुआ अखबार की रिपोर्ट के अहम सवाल का उत्तर ढूंढ रहा हूँ कि क्या देश मे ऐसे महापुरुष पुनः जन्म लेगें या नहीं।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।