पाठकों के लेख एवं विचार

*पटना_उच्च न_यायालय_का_नीतीश_को_झटका)-*

 

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11 मई 2023- (#पटना_उच्च न_यायालय_का_नीतीश_को_झटका)-

समाज मे जाति है यह एक सच्चाई है, लेकिन शिक्षा के विस्तार के बाद जातिवाद को देखने के दृष्टीकोण मे बड़ा परिवर्तन आया है। कभी अंतर्जातीय विवाह होने से सारे समाज के विरोध का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब जाट खापो जैसे अपवाद को छोड़कर आम समाज मे अंतर्जातीय विवाहों को स्वीकृति मिलने लगी है। शिक्षित युवाओं का विवाह के मामले मे जाति कोई बड़ी प्राथमिकता नहीं है।मेरी समझ मे जाति विहीन समाज की रचना मे अंतर्जातीय विवाह सार्थक और बड़ी भूमिका अदा कर सकते है, लेकिन सवाल है कि क्या हम और विशेषकर राजनेता समाज मे जातिवाद के अभिशाप को ईमानदारी से समाप्त करना भी चाहते है या नहीं। मेरे विचार मे अब जातिवाद को राजनैतिक कारणों से जिन्दा रखा जा रहा है और जातियों के विभाजन को और विभाजित करने के लिए आंकडो के हथियार का इस्तेमाल करने का प्रत्यन किया जा रहा है। जातिगत आधारित जनगणना का खेल इसी बड़े खेल का हिस्सा है। हमारे देश मे हज़ारों जातियां और लाखों उप- जातियां है। इस प्रकार की जनगणना से समाज को छोटे-छोटे टुकड़ों मे विभाजित होने का खतरा है। स्मरण रहे गुलाम भारत मे 1931 मे जातिगत आधारित जनगणना अंग्रेजो ने करवाई थी और उदेश्य था भारतीय समाज को विभाजित करना। गुलाम भारत मे गांधी और नेहरू ने इसका जबरदस्त विरोध किया था।

जातिगत आधारित जनगणना का षडयंत्र नीतीश रच रहे है और दुर्भाग्य से गांधी और नेहरु से प्ररेणा लेने वाली कांग्रेस उनकी इस मांग का समर्थन कर रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने भी एक वर्ग, जातिगत आधारित जनगणना करवाई थी परन्तु उसका घोर विरोध होने के चलते उसके परिणाम घोषित नहीं किए जा सके थे। नीतीश और कांग्रेस अपने को अम्बेडकर का अनुयाई बताते है लेकिन उनकी बातों पर अमल करने से परहेज करते है। भीमराव अम्बेडकर ने संविधान सभा मे अपने ऐतिहासिक भाषण मे कहा था कि भारत मे जाति प्रथा राष्ट्र विरोधी है जिससे परस्पर द्वेष पैदा होता है यदि भारत को एक राष्ट्र बनाना है तो जाति प्रथा को खत्म करना होगा। वर्तमान मे स्वार्थ की राजनिति और कुछ आर्थिक लाभ के चलते जातिवाद को हवा देना निश्चित तौर पर राष्ट्र हित मे नहीं है। नीतीश ने एक सोची समझी चाल के अंतर्गत जातिगत आधारित जनगणना बिहार मे शुरू की थी जबकि जनगणना करवाना और उसके प्रामाणिक आंकडो को प्रकाशित करना केन्द्र सरकार का काम है। बिहार सरकार द्वारा करवाई जा रही जनगणना को पटना हाईकोर्ट मे चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद जनगणना पर रोक लगा दी है। मेरी समझ मे यह नीतीश के साथ कांग्रेस को भी बड़ा झटका है।

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।

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