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*अटूट विश्वास* :-*परम पूज्य भैया सुरेश जी महाराज*

 

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*अटूट विश्वास* :-*परम पूज्य भैया सुरेश जी महाराज*

अटूट विश्वास

ऋषिकेश में गंगा जी के किनारे एक संत रहा करते थे।।
वह जन्मांध थे और उनका नित्य का एक नियम था कि वह शाम के समय ऊपर गगन चुंबी पहाड़ों में भृमण करने के लिये निकल जाते और हरी नाम का संकीर्तन करते जाते।।

एक दिन उनके एक शिष्य ने उनसे पूछा

बाबा आप हर रोज इतने ऊंचे ऊंचे पहाड़ों पर भृमण हेतु जाते हैं

वहां बहुत गहरी गहरी खाइयां भी हैं
और आपको आंखों से दिखलाई नहीं देता।।

क्या आपको डर नहीं लगता ?

अगर कभी पांव लड़खड़ा गये तो ?

बाबा ने कुछ नहीं कहा और शाम के समय शिष्य को साथ ले चले।।

पहाड़ों के मध्य थे तो बाबा ने शिष्य से कहा

जैसे ही कोई गहरी खाई आये तो बताना।।

दोनों चलते रहे
और जैसे ही गहरी खाई आयी
शिष्य ने बताया कि बाबा गहरी खाई आ चुकी है।।

बाबा ने कहा
मुझे इसमें धक्का दे दे।।

अब तो शिष्य इतना सुनते ही सकपका गया।।
उसने कहा
बाबा मैं आपको धक्का कैसे दे सकता हूँ।।
मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकता।।
आप तो मेरे गुरुदेव हैं
मैं तो किसी अपने शत्रु को भी इस खाई में नहीं धकेल सकता।।
बाबा ने फिर कहा
मैं कहता हूं कि मुझे इस खाई में धक्का दे दो।।
यह मेरी आज्ञा है
और मेरी आज्ञा की अवहेलना करोगे तो नर्क गामी होगे।।
शिष्य ने कहा
बाबा मैं नर्क भोग लूंगा मगर आपको हरगिज इस खाई में नहीं धकेल सकता।।
तब बाबा ने शिष्य से कहा
अरे नादान बालक

जब तुझ जैसा एक साधारण प्राणी मुझे खाई में नहीं धकेल सकता तो बता

मेरा मालिक भला कैसे मुझे खाई में गिरने देगा। उसे तो सिर्फ गिरे हुओं को उबारना आता है गिरे हुओं को उठाना आता है। वह कभी भी किसी को गिरने नहीं देता।। वह पल पल हमारे साथ है बस हमें विश्वास रखना होगा उस पर।
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