*पालमपुर के दौरे के दौरान मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के ध्यानार्थ कुछ जरूरी बातें लानी चाहिए थी* प्रवीण कुमार पूर्व विधायक *
डरोह के पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय में मुख्यमन्त्री ओर पालमपुर के विक्रम बत्रा महाविद्यालय में शिक्षा मन्त्री जी के ध्यानार्थ ये विषय लाने चाहिए थे :- प्रवीन कुमार पूर्व विधायक.. गत सप्ताह माननीय मुख्यमन्त्री श्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू जी ने शायद पहली बार डरोह के पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इसी तरह शायद प्रदेश के शिक्षा मन्त्री श्री रोहित ठाकुर भी राजकीय विक्रम बत्रा महाविद्यालय पालमपुर में पहली बार पधारे । जहाँ मुख्यमन्त्री जी के ध्यानार्थ यह विषय लाने वाला था कि पालमपुर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत मोहाल बनूरी व मोहाल अपरली भरमात में भी 84 कनाल भूमि पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय डरोह के नाम दर्ज है। काबिलेगोर है तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री शान्ता कुमार जी ने उस वक्त इस महाविद्यालय को पालमपुर के साथ लगते इस क्षेत्र में खोलने के प्रयास किये थे लेकिन यह रकवा कम पड गया था। पूर्व विधायक ने कहा विषय खेद का है कि धोलाधार के आंचल में प्राकृतिक के आपार सौन्दर्य से भरपूर इस जमीन का आज दिन तक महकमा पुलिस ने कोई सदुपयोग नहीं किया । हालांकि निवर्तमान मुख्यमन्त्री श्री जय राम ठाकुर जी ने डरोह के ही पुलिस प्रशिक्षण दीक्षांत समारोह में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (आर्मड फोर्स ) के मुख्यालय को यहाँ खोलने की घोषणा की थी लेकिन लगता है ब्यूरोकेसी के हावी होने के कारण यह घोषणा मात्र घोषणा बन कर ही रह गयी । दूसरा विषय शिक्षा मन्त्री जी के ध्यानार्थ लाने वाला था जो कि मुख्यमन्त्री जी के ड्रीम प्रोजेक्ट “सुखाश्रय” से सम्बधित है। यहाँ एक 18 वर्षीय आनाथ बच्ची जमा दो तक पढ़ी है ओर प्राप्त जानकारी के मुताबिक आगे माली हालत खस्ता होने के बावजूद इग्नो से उच्च शिक्षा भी ग्रहण कर रही है। किस तरह कालेज परिसर में झाड़ू लगाकर सफाई कर्मचारी के रुप में काम करती है। पूर्व विधायक ने बताया इसकी मां भी इसी महाविद्यालय में बतौर सफाई कर्मचारी काम करती थी लेकिन गम्भीर बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी पिता की पहले मृत्यु हो चुकी है। कालेज प्रशासन ने मां की जगह इस बच्ची को रखकर उपकार किया है लेकिन कालेज प्रशासन चिन्तन मनन कर ऎसे बच्चो के प्रति मुख्यमन्त्री की भावना का ख्याल रखे ।
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यहां यह बात उल्लेखनीय है कि कुछ प्रबुद्ध लोगों का का ऐसा मानना है कि इस लड़की को कुछ सम्मानजनक ड्यूटी दी जानी चाहिए ताकि यह अपना ध्यान पढ़ाई की तरफ लगा सके तथा किसी हीन भावना की शिकार ना हो क्योंकि इसी कॉलेज में कुछ लोगों को उनकी ड्यूटी के अनुसार नहीं बल्कि उनके पहुंचे और पहचान के हिसाब से काम लिया जाता है फिर इस कुशाग्र बुद्धि लड़की जो कि बिना मां-बाप के हैं उसके साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है एक तरफ तो मुख्यमंत्री जी बेटियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता दिखाते हैं मोदी जी बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा लगाते हैं प्रियंका जी कहती हैं लड़की हूं लड़ सकती हूं लेकिन एक अनाथ बिना मां-बाप की लड़की कब तक इस तरह से लड़ पाएगी यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता।