*टूरिजम विलेज की प्रस्तावना को लेकर श्री गोकुल बुटेल जी स्थानीय विधायक व कृषि मन्त्री जी के साथ विरोध जताने वालों की तस्सली करवायें :- प्रवीन कुमार पूर्व विधायक*
टूरिजम विलेज की प्रस्तावना को लेकर श्री गोकुल बुटेल जी स्थानीय विधायक व कृषि मन्त्री जी के साथ विरोध जताने वालों की तस्सली करवायें :- प्रवीन कुमार पूर्व विधायक …
राजनीतिक प्राणी होने के साथ साथ पालमपुर का एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मैं टूरिजम विलेज का कतई विरोधी नहीं हूँ । मैं एक समाज सेवा में समर्पित संस्था से भी जुड़ा हूँ ओर इस विषय में कहा जा रहा है कि राजनीति की जा रही है। ऎसे में हर संस्था का समाज के क्षेत्र में अपना अपना योगदान , जिम्मेवारी , सहभागिता व जवाब देही रहती है । इसलिए एन जी ओ के विरुद्ध इस तरह की टिप्पणी असहनीय है। यह प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने माननीय मुख्यमन्त्री जी के प्रधान सलाहकार सूचना एवं प्रौद्योगिकी से कहा है कि यह पालमपुर की 3000 कनाल की मातृ भूमि का मसला है जिसे किसी को हस्तांतरण करना साधारण निर्णय नहीं है। आज लोग एक एक ईंच के लिए प्राण दे देते हैं। पूर्व विधायक ने रहस्योद्घाटन करते हुए कहा यह तो वो बात आ गई जव तक गाय दूध देती है तो हमारी है दूध देना बन्द कर दिया तो सरकारी है। पूर्व विधायक ने श्री गोकुल बुटेल जी से कहा आज हिन्दोस्तान व पाकिस्तान की लड़ाई मात्र जमीन के टुकड़े को लेकर है आप इतने महत्वपूर्ण मसले पर अकेले पत्रकार वार्ता करके पालमपुर की जनता को समझा बुझा रहे हैं। बेहतर होता स्थानीय विधायक जिन्हें पालमपुर की जनता ने लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत चुनकर सफेद चादर उनके हाथ दी है कि कहीं उस पर काला दाग न लग जाए उन्हें व कृषि मन्त्री जी को साथ बिठाकर इस प्रस्तावित मास्टर प्लान की जानकारी पालमपुर के शुभ चिन्तको , विचारों , बुद्धिजीवीयों ओर जिन जिन्होंने ने इस कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार की जमीन को टूरिजम विलेज के हस्तांतरण के लिए अपनी अपनी आपति जताई है के तर्कों को भी सुनते । पूर्व विधायक ने कहा कि तर्क दिया जा रहा है कि यह जमीन बंजर पडी है तो जहाँ सरकार की ओर जगह जमीन बंजर पडी है वहां क्या केसर उग रहा है। पूर्व विधायक ने कहा गोकुल जी नादान बनकर यह न कहो कि जव यह केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय आयेगा तो पालमपुर के फोरेस्ट एरिया को एफ आर ए में अधिग्रहण किया जा सकता है। गोकुल जी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के बनने के भी कुछ पैरामीटर अर्थात माप दण्ड है। वैसे भी हमारा यह कृषि विश्वविद्यालय भारत वर्ष के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में आठवें पायदान पर ओर जिस तरह राष्ट्रीय स्तर पर कृषि शिक्षा के क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय की गुणवत्ता को सराहा गया है। ऎसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि यह पांचवें नम्बर पर आ जाएगा । ऎसी सराहनीय कार्य प्रणाली से निकट भविष्य में विश्वविद्यालय के शैक्षिणक प्रचार , प्रसार , अध्ययन , अनुसन्धान , विस्तार व पदोन्नति की आपार सम्भावनाएँ है जो कि उपरोक्त निर्णय से क्षीण हो जाएंगी । परिणामस्वरूप भारत एक वर्ष कृषि प्रधान देश है ओर कृषि प्रधान देश के बेटे बेटियां ही यहाँ शिक्षा के इस पावन मन्दिर में शिक्षा ग्रहण करके वैज्ञानिक बनते हैं। हमें ये माफ नहीं करेंगे । पूर्व विधायक ने फिर जोर देकर कहा कि इस टूरिजम विलेज को जहां श्री मति चन्द्र कमल जीत जी ने पालमपुर हल्के में सरकार को 3200 कनाल जमीन दी है। यह क्षेत्र वैसे भी विलेज की परिभाषा में आता है यहाँ प्रस्तावित किया जाए ।