पाठकों के लेख एवं विचार

*राम_हमारे_नहीं_सबके_है* *महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश*

 

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26 जनवरी 2024- (#राम_हमारे_नहीं_सबके_है)-

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यह उदगार देश के प्रथम सेवक एवं प्रधानमंत्री के है। यह बात सही है कि शताब्दियों के संघर्ष के बाद करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केंद्र भव्य रस्म मंदिर अपने अस्तित्व मे आया है। एक कथन है कि भगवान ने मनुष्य के रूप मे जन्म लिया था। समाज जागरण और बुराई रूपी राक्षससों का वध कर सही सन्देश देने के लिए। रामायण का हर पात्र अपने आप मे परिपूर्ण है और वह सकारात्मक सन्देश का वाहक है। कभी-कभी लगता है कि राम मंदिर विवाद, संघर्ष और समाधान भी प्रभु इच्छा का ही प्रतिफल है। यह सारी रचना सोए हुए हिन्दु समाज को जागृत करने और उन्हे संगठित करने के निमित रची गई थी, अन्यथा इसके लिए इतने लम्बे संघर्ष मार्ग की आवश्यकता नहीं थी। कोर्ट तो पहले भी इस विवाद का निपटान कर सकता था लेकिन इस संघर्ष के दौरान जो कुछ घटित हुआ वह सब हिन्दु समाज जागरण के लिए ज़रूरी था। यह ठीक उसी तर्ज पर हुआ जैसे राम वनवास के समय घटित हुआ था और घटनाओं से समाज को सन्देश मिला था। खैर राममंदिर आन्दोलन के निमित जो हिन्दु समाज मे चेतना आई है वह अद्भुत है और समाज मे जो जागृति आई वह अद्वितीय है।

राम मंदिर आन्दोलन जिस प्रकार जन आन्दोलन मे परिवर्तित हुआ है इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। मै 23 जनवरी को मुम्बई आया, घर पहुंचा तो उत्साह से भरी मेरी पोती नीवा ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन हमारी सोसाइटी मे एक लाख आठ हजार दीप प्रज्वलित किए गए थे। बच्ची की बात पर यकीन नहीं आया। शाम को दफ्तर से बेटा अभिमन्यू लौटा तो उससे पूछा तो उसने नीवा के दावे का अनुमोदन किया। आज सुबह सैर के लिए निकला तो देखता हूं कि जहां गणेश जी की प्रतिमा लगी है वहां साथ मे राम परिवार स्थापित कर दिया गया है और सुबह ही लोग वहां राम भजन के लिए एकत्रित है। एक बैंच पर बैठे दो लोग चर्चा कर रहे है कि हमे वह अखबार संभाल कर रखने चाहिए जिनमे मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा का विवरण छपा है। यह अखबार हमे अपनी आने वाली पीढीयों को सौंप कर जाने चाहिए। समाज मे आए इस परिवर्तन को आप पहली नजर मे पहचान सकते हो। भव्य मंदिर बन गया और राम लला भी स्थापित हो गए है। अब जरूरत है राम मर्यादाओं को स्थापित करने की। मेरी समझ मे यह विजय भाव से नहीं अपितु विनय भाव से स्थापित होगी।

#आज_इतना_ही।

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