पाठकों के लेख एवं विचारBilaspur/Hamirpur/UnaHimachalKullu /lahul /KinnaurMandi /Chamba /KangraMandi/ Palampur/ DharamshalaShimla/Solan/SirmourSocial and cultural

*एक बहुत ही सुंदर रचना एक पुलिस ऑफिसर की कलम से: संजीव गांधी SP*

Bksood chief editor tct

यह धूप
यह उजाले …
आज की सुबह,,
पूरब में फिर हजारों रंग खिले निराले ।
देवी उषा !!
तुम हो ऊर्धवगामिनी,
हो अग्नि वर्ण दामिनी’..
तुम्हारी कृपा से बदले,
काले मेघों का भी रूप,
दिखें मेघ काले वर्ण,
कंचन कल्याण स्वरूप ।।
निखरे उसकी हर छटा,
तेरे दर पर जो नमन करें,
वह कहां घटा
हुआ उसका विस्तार वृद्धि,
तेरी करुणा के आशीर्वाद,
सभी दिशाओं में व्याप्त करें,
प्रसन्नता व समृद्धि।।।
फिर सात घोड़ों के रथ पर …
आज जब मकर में,
सात रंगों को बिखेरते निकले हैं’ विवस्वान!!
दीन हीन मनुष्य, हाथ जोड़े खड़े !!
यही सुर प्रार्थना के हो रहे गुंजायमान,
रोग दोष से मुक्त हो जगत,
करो मनुष्यता का कल्याण ।।।।

Sanjeev Gandhi
रचनाकार:- संजीव गांधी सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button