*Hathras incident, who is responsible for stampedes
सम्पादकीय:-
पिछले तीन दिनों से हाथरस में हुए हादसे ने देश को हिला कर रख दिया है। इस घटना पर मीडिया में हाहाकार मचा हुआ है। मीडिया कभी शासन, कभी प्रशासन, कभी पुलिस, कभी नेताओं, तो कभी बाबाओं को दोषी ठहरा रही है। लेकिन वास्तविकता यह है कि इनमें से कोई भी इस घटना के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है। असली दोषी वे अंधभक्त हैं जो अंधविश्वास में डूबे हुए हैं और सोचते हैं कि किसी चमत्कारी धूल से उनका कैंसर ठीक हो जाएगा, थूक चाटने से उनकी ट्यूमर ठीक हो जाएगी, विभूति लगाने से वे दिल की बीमारियों से बच जाएंगे, और किसी तथाकथित चमत्कारी पानी से उनका स्वास्थ्य एकदम ठीक हो जाएगा।
अंधविश्वास भारतीय समाज की जड़ें खोखली कर रहा है। यह घटना इसी अंधविश्वास का परिणाम है, न कि किसी बाबा, पुलिस, प्रशासन, या नेता का। समाज में व्याप्त अंधविश्वास, अशिक्षा, संसाधनों की कमी, गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं ने इस स्थिति को और भी विकट बना दिया है। कोई भी इन मुद्दों पर बात नहीं करता क्योंकि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए सरकार जिम्मेदार मानी जाती है। अगर हमारे पास पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं होतीं और हम साधन संपन्न होते, तो हम अच्छे इलाज का खर्च उठा सकते और अंधविश्वास के चक्कर में नहीं पड़ते।
धर्म में विश्वास करना एक बात है, लेकिन अंधविश्वास करना पूरी तरह से अलग है। धर्म एक आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शक हो सकता है, जबकि अंधविश्वास तार्किक और वैज्ञानिक सोच के खिलाफ है। अंधविश्वास का जाल समाज के निचले तबकों में सबसे अधिक फैला हुआ है, जहां शिक्षा का अभाव और आर्थिक संकट प्रमुख कारण हैं। ये समस्याएं अनपढ़ता, बेरोजगारी, गरीबी और असहायपन से उपजी हैं। हमारे पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, हम दवाई खरीदने के लिए पैसे नहीं जुटा सकते, इसलिए हम मुफ्त में मिलने वाली विभूति पर विश्वास कर लेते हैं।
इस घटना के लिए किसी एक व्यक्ति या संस्था को दोषी ठहराना सरासर गलत है। असली समस्या गरीबी, बेरोजगारी और संसाधनों की कमी है। जनसंख्या विस्फोट ने इन समस्याओं को और बढ़ा दिया है, जिससे हमारे पास पर्याप्त संसाधनों की कमी हो गई है। भारत की मुख्य समस्याएं अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि, अशिक्षा, बेरोजगारी, और बुनियादी सुविधाओं की कमी हैं। इन समस्याओं का समाधान किए बिना हम ऐसे हादसों को रोक नहीं सकते।
जनसंख्या विस्फोट ने हमारे संसाधनों पर भारी दबाव डाल दिया है। अस्पतालों में बिस्तरों की कमी, दवाओं की ऊंची कीमतें और स्वास्थ्य सुविधाओं की दुर्दशा ने लोगों को अंधविश्वास की ओर धकेल दिया है। हमारे पास रोजगार के अवसर नहीं हैं, जिसके कारण लोग गरीबी में जीने को मजबूर हैं और अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हैं। इस स्थिति में, अंधविश्वास एक आसान उपाय के रूप में सामने आता है।
समाज को जागरूक करने और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने के लिए शिक्षा और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसके अलावा, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार, रोजगार के अवसरों में वृद्धि और गरीबी उन्मूलन के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। केवल तभी हम अपने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त कर एक बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।
It will take some time for the UK to establish a new relationship with Europe and the rest of the world.