*कबूतर बाजी के जाल में फंसते जा रहे हिमाचली युवक*
Editorial
*कबूतर बाजी के जाल में फंसते जा रहे हिमाचली युवक*
आखिर कब बंद होगी बेरोजगार युवकों के साथ धोखाधड़ी ।
अभी हाल ही में पिछले दिनों एक मामला बहुत सुर्खियों में रहा कि एक भारतीय को विदेश में जो कि जिला कांगड़ा जिला का था बहुत बुरा बर्ताव किया गया। उसे बंधक बनाकर रखा गया उसके साथ मारपीट की गई। जब यह बात मीडिया की सुर्खियों में आई तो वह व्यक्ति बड़ी मुश्किल से जालसाज गुंडों के चंगुल से छूट पाया।
विदेश में रह रहे पालमपुर के एक नागरिक ने उस व्यक्ति की काफी मदद की जिसकी वजह से वह सुरक्षित अपने प्रदेश हिमाचल आ सका । ऐसा ही किस्सा अब फिर से बैजनाथ क्षेत्र से आया है आखिर सरकार का इन जालसाज धंदेबाजों पर शिकंजा क्यों नहीं कसती? क्या कारण है कि यह लोग ऐसे ही धोखा धड़ी को एक के बाद एक सीरीज में ही अंजाम देते रहते हैं ,यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है ।चाहे साइबरक्राइम हो या इस तरह की लालच देकर धोखाधड़ी करने की बात हो हमारा सरकारी तंत्र केवल मात्र मूकदर्शक बनकर रह जाता है वह इस विषय पर कोई ठोस और त्वरित कार्यवाही नहीं कर पाता। शायद उनके हाथ कानून से बंधे हुए हैं या वह इन लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करने से किस कारण से कतराते हैं यह तो वह ही बेहतर बता सकते हैं ।परंतु इज बात सच्च है कि कुछ लोग तो अपने जीवन भर की कमाई इन जालसाज लोगों को सौंप देते हैं ताकि उनके बच्चे विदेशों में जाकर खूब धन कमाए और उनकी सात पुश्तों के दरिद्र दूर हो जाएं ।
ऐसा नहीं है कि यह पैसे के लालच में विदेशों में जाते हैं कोई भी व्यक्ति जीवन में हमेशा तरक्की करना ही चाहता है जो लोग विदेशों जाते हैं उन्हें यह भलीभांति मालूम होता है कि वहां पर जाकर उन्हें दिन रात मेहनत करनी पड़ेगी ,उन्हें हो सकता है प्रताड़ना भी सहनी पड़े, इतना तो यह लोग सह लेते हैं लेकिन जब बात इनके जीवन पर आ पड़ती है तथा इन्हें बंधक बना कर रखा जाता है तथा उल्टे सीधे कामों में संलिप्त किया जाता है तो यह लोग बहुत मुश्किल में आ जाते हैं। यह मामले तो वह है जो लाइमलाइट में आ चुके हैं या आए हैं परंतु हो सकता है बहुत से ऐसे मामले भी हो जिन पर कभी किसी की नजर ही ना गई हो या वह इन मामलों को उजागर ना कर पाए हो आवश्यकता है सरकार के एक सख्त कानून बनाने की , जिससे विदेशों में भेजने के लिए जो लोग एजेंट बनकर काम कर रहे हैं उनकी पूरी वेरिफिकेशन की जाए तथा उनके ट्रेक रिकॉर्ड को खंगाल कर ही उन्हें इस बिजनेस में टिकने की इजाजत दी जाए ।जो लोग विदेशों में जा रहे हैं उन्हें भी यही चाहिए कि वह पहले सरकार से उस एजेंसी के बारे में या उस एजेंट के बारे में पूरी तहकीकात करवा ले ताकि वह किसी भी जालसाज के चंगुल से बच सकें परंतु सरकार के द्वारा वेरीफाई करवाना कोई आसान काम नहीं है। एनजीओ या कोई अन्य व्यक्ति कब तक उनकी इस तरह से मदद करते रहेंगे सरकार को शीघ्र अति शीघ्र इस विषय पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए ताकि हमारे नौजवानों का जीवन बर्बाद होने से बच सकें..
युवकों को भी चला है कि वह विदेश जाने से पहले भारतीय एंबेसी में अवश्य कंसल्ट करें और कंपनी की सही जानकारी हासिल करें और एंबेसी के थ्रू जाने का प्रयास करें..
साथ ही उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वह किसी भी हालत में अपना पासपोर्ट किसी भी व्यक्ति को ना दें क्योंकि पासपोर्ट दूसरे के हाथों में चले जाने पर वह एकदम बेबस और मजबूर हो जाते हैं उनकी हर सही गलत बात मानने के लिए। युवकों को कभी भी अपना पासपोर्ट दूसरे व्यक्ति को नहीं देना चाहिए।
जैसे पंजाब में एन आर आई सेंटर खोला गया है वैसे ही हिमाचल में भी ऐसा ही सेंटर खोला जाना चाहिए ताकि बाहर जाने वाले इच्छुक युवक-युवतियों को कंपनी की सही जानकारी उनकी वैधता आदि का पता चल सके।