*अमेरिका_और_जर्मनी_को_औकात_मे_रहने_का_कड़ा_सन्देश_देने_की_जरूरत*
28 मार्च 2024-(#अमेरिका_और_जर्मनी_को_औकात_मे_रहने_का_कड़ा_सन्देश_देने_की_जरूरत)–
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर यू एस और जर्मनी द्वारा की गई अवांछनीय टिप्पणी निंदनीय है। भारत एक प्रभुसत्ता संपन्न देश है और किसी भी अन्य देश को भारत के अन्दरूनी मामले मे दखल देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। मेरे आज के ब्लॉग का विषय यह नहीं है कि केजरीवाल शराब नीति मामले मे दोषी है या नहीं। सवाल यह भी नहीं है कि शराब नीति को बनाने के वक्त साऊथ ग्रुप के व्यपारियों के साथ मिलीभगत और भ्रष्टाचार के आरोप सही है या नहीं, इसका फैसला कोर्ट मे सबूत के आधार पर होगा। मेरी समझ मे इस मामले मे किसी को अभी से दोषी मान लेना या क्लीन चिट देना ठीक नहीं होगा। भारत और इसकी जांच ऐजंसीयो को अपने नागरिक के खिलाफ जांच करने और आरोप लगाने का अधिकार है, लेकिन उस नागरिक को दोषी तभी माना जाएगा जब वह आरोप कोर्ट मे साबित होंगे। इस सन्दर्भ मे अमेरिका और जर्मनी की यह टिप्पणी कि केजरीवाल के खिलाफ समय वध पारदर्शी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
मेरे विचार मे यह हमारे अन्दरूनी मामलो मे दखल है और हमारी न्यायिक प्रक्रिया पर प्रश्न चिह्न है। अमेरिका ने अपने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर मुकादमा चलाया तो भारत ने कोई दखल नहीं दिया था। हालंकि भारत सरकार ने इन टिप्पणियों का संज्ञान लेते हुए जर्मनी के राजदूत को बुला कर अपना विरोध दर्ज करवाया है। मेरे विचार मे अमेरिकन राजदूत को भी बुलाकर सरकार को उन्हे अपनी औकात मे रहने और हमारे मामलो मे दखल न देने की हिदायत देनी चाहिए। हमे इन विकसित देशों से डरने की कोई जरूरत नहीं है। स्मरण रहे भारत एक बड़ा बाजार है और यह सब लोग हमारे बाजार मे अपना समान बेचने के लिए निर्भर है। उनका इस प्रकार का दखल सहना अपने स्वाभिमान के साथ समझौता होगा। इसलिए इन दोनो देशों की टिप्पणियों का मुंह तोड़ जबाव देना जरूरी होगा।
#आज_इतना_ही।