*सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा) लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री मध्य प्रदेश सरकार*
14 दिसंबर 2022- (#सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा) –
#कल_से_आगे – हर पांच साल बाद सरकार और विधायक अपनी कारगुजारी का लेखा- जोखा मतदाताओं के सामने प्रस्तुत करते है, फिर मतदाता तय करते है कि क्या उन्होने सरकार या विधायक के कार्यकाल का नवीनीकरण करना है या नहीं। 1985 के बाद हर पांच साल के बाद हिमाचल की जनता सरकार बदल रही है और जैसा मै लिख चुका हूँ इस बार भी परिवर्तन की परम्परा को जारी रखा गया है। राजनिति मे सच्चाई से अधिक जनता मे बनी छवि महत्वपूर्ण होती है। ठाकुर जय राम जी की छवि एक शरीफ और ईमानदार मुख्यमंत्री की थी। मंत्रीमंडल के कुछ सदस्यों के बारे मे भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा तो जरूर लोग करते थे लेकिन विपक्ष या मीडिया कभी भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका। दो मामलो को लेकर आरोप जरूर लगे, जनता मे चर्चा भी हुई और लोगो ने उन आरोपों पर विश्वास भी किया। कोविड के दौरान कोरोना योद्वाओं के लिए मास्क,गलव्ज ,थर्मल स्कैनर और पी.पी.ई किट घोटाले को लेकर आरोप लगे और इस सन्दर्भ मे पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ अजय कुमार गुप्ता और एक कथित दलाल के बीच पैसे के लेन-देन को लेकर ऑडियो वायरल हुआ। कथित दलाल को सत्तारूढ़ भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का नजदीकी बताया गया था। मुझे नहीं पत्ता भाजपा नेता की इस सारे मामले मे कोई संलिप्तता थी या नहीं, लेकिन उनकी छवि के चलते आम जन ने उनकी संलिप्तता मान ली थी। इस चुनाव मे भी कांग्रेस ने बार- बार उस मामले को उछाला और भाजपा से प्रश्न किए।
स्मरण रहे उस आडियो के वायरल होने के उपरांत उस वरिष्ठ नेता को उनके पद से हटा दिया गया था। इस चुनाव मे पी.पी.ई किट घोटाले को कांग्रेस ने उक्त नेता के निर्वाचन क्षेत्र मे मुद्दा तो बनाया ही लेकिन मेरी समझ के अनुसार इस मुद्दे से सारे प्रदेश मे नुकसान हुआ है। भाजपा के प्रबंधकों से एक बड़ी चूक हुई। जब आदरणीय प्रधानमंत्री जी सोलन पधारे तो उनकी सीट के साथ कथित संलिप्तता वाले नेता की सीट लगा दी गई। सोशल नेटवर्किंग पर इस बात को लेकर खूब ट्रोल किया गया। पी .पी .ई किट घोटाला एक बार फिर चर्चा मे है क्योंकि जांच मे विजिलेंस को अहम सबूत मिले है। इन सबूतों का संज्ञान लेते हुए पिछले सप्ताह न्यायाधीश विवेक ठाकुर ने पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ अजय गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। दूसरा मामला जो नौजवानों मे चर्चित था वह था पुलिस भर्ती मे पेपर लीक मामला। इस मामले को लेकर बेरोजगार युवक बहुत नाराज थे। हालांकि मुख्यमंत्री जी ने इसकी जांच तुरंत सी.बी.आई को सौंप दी थी, लेकिन सी.बी.आई ने जांच मतदान होने बाद अपने हाथ मे ली। इसका भी चुनाव मे भाजपा को नुकसान हुआ है और कांग्रेस ने इसे भी भुनाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी। खैर चुनाव मे कई मुद्दे मिलकर हार का कारण बनते है।
#आज_इतना_ही कल फिर इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मिलते है।