पाठकों के लेख एवं विचारChandigarhHaryanaHimachalJ & KMohaliPanchkulaPunjab

एक होटल वाले की व्यथा एक होटल वाले की जुबानी

ANIL SOOD Sr Editor

Anil sood प्रेस रिपोर्टर एंड होटलियर

 

 

मैं होटल वाला नहीं जिगर वाला हूँ
—————————————

• बड़ी मेहनत के बाद मैंने होटल की नौकरी पायी है,
होटल में आया तो जाना, यहाँ एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई है।

जहाँ कदम कदम पर ज़िल्लत, और घड़ी घड़ी पर ताने हैं,
वहां मुझे अपनी ज़िन्दगी के कई साल बिताने हैं।

जानता हूँ ये ‘अग्निपथ’ है, फिर भी मैं चलने वाला हूँ,
क्योंकि मैं होटल वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।

• जहाँ एक तरफ मुझे मैनेजमेंट की, और दूसरी तरफ कस्टमर की भी सुननी है,
यानी मुझे दो में से एक नहीं, बल्कि दोनों राह चुननी हैं।

कस्टमर नाराज़ हुआ तो मैनेजमेंट के पास जाता है,
और मैनेजमेंट को खुश रखना, मुझे तो नहीं आता है।

दो नावों पे सवार हूँ फिर भी सफ़र पूरा करने वाला हूँ,
क्योंकि मैं होटल वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।

• आसान नहीं है सबको एक साथ खुश रख पाना,
परिवार के साथ वक़्त बिताना

परिवार के साथ बमुश्किल कुछ वक़्त ही बिता पाता हूँ,
घर पर अपने मैं रहता नहीं, वहां तो बस आता और जाता हूँ।

फिर भी हर मोड़ पर मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने वाला हूँ,
क्योंकि मैं होटल वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।

• तनख्वाह हमारी सबसे कम, फिर भी सबसे ज्यादा काम करते हैं,
हम होटल वाले रिस्क लेने से, कभी भी नहीं डरते हैं।

तनख्वाह बढ़ाने की बात पर, हमें सालो लटकाया जाता है,
हक़ की बात करने पर ठेंगा दिखलाया जाता है।

ये एक लड़ाई है, इसमें सबको साथ लेकर चलने वाला हूँ,
क्योंकि मैं होटल वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।

• देश के कोने कोने से आये लोगों ने, जहाँ होटल को अपना धर्म बना लिया,
परिवार को छोड़ कर आए, और होटल को ही घर बना लिया

अब उन्हें कौन समझाए काउंटर के दूसरी तरफ रहने के कितने फायदे हैं
कस्टमर चाहे जितनी मनमानी करे पर स्टाफ के लिए बड़े सख्त कायदे है
सबको मैं बदल नहीं सकता
इसलिए अब खुद को बदलने वाला हूं
क्योंकि मैं होटल वाला नहीं जिगर वाला हूँ
क्योंकि मैं होटल वाला नहीं जिगर वाला हूँ…..

लेखक अनिल व्यास होटलियर

Related Articles

One Comment

  1. होटल वालों की ना कोई इज्जत ना कोई मान सम्मान !
    इधर सुनो तो दुत्कार है ,उधर सुनो अपमान !!
    यह एक ऐसा धंधा है जिसमें नहीं कोई सम्मान!
    इससे अच्छा बेहतर था खोली होती पान की दुकान!!
    आने वाले आते हैं जाने वाले जाते हैं !
    पर मालिक हमको यही समझाते हैं !!
    सह लेना पर कहना नहीं ,कितना भी हो अपमान!!
    आने का समय न जाने की होश या फरमान!
    खाली पेट भी रहना पड़ता है, चाहे बने हो 56 पकवान!!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button