Mandi/ Palampur/ DharamshalaHimachal
*पालमपुर में पिछले 3 दिनों से बिजली गुल है व्यापारियों कर्मचारियों गृहणियों तथा बच्चों को हो रही है भारी दिक्कत।*
पालमपुर में पिछले 3 दिनों से बिजली गुल है व्यापारियों कर्मचारियों गृहणियों तथा बच्चों को हो रही है भारी दिक्कत।
नवल किशोर शर्मा, अनिल सूद
पालमपुर के कुछ क्षेत्रों में पिछले सोमवार से बुधवार तक बिजली गुल है। संयुक्त व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव सोनी ने कहा कि जिन क्षेत्रों में बिजली नहीं है वहां के दुकानदार भाई बहुत ही परेशान हैं तथा उनका हजारों रुपए का नुकसान हो गया है क्योंकि बिजली न होने से फ्रिज नहीं चल रहे हैं जिसमें उसमें रखे गए आइसक्रीम फ्रोजन फ़ूड चिकन आदि व अन्य खराब होने वाला सामान बिल्कुल नष्ट हो चुका है। दुकानदारों का कहना है कि बिजली विभाग को कितने ही फोन कर लो कोई फोन नहीं उठाता, सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने फोन उठाकर साइड में रख दिए हैं और मोबाइल स्विच ऑफ कर दिए हैं अब हम किसी से बिजली की स्थिति के बारे में पूछे तो कैसे पूछें?
सोनी ने कहा उच्च अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पालमपुर के अधिकारियों से पता चला है कि बिजली 1 घंटे में आ जाएगी परंतु वह एक घंटा पिछले 1 दिन से नहीं आ रहा है ।संजीव सोनी ने कहा कि जब कांगड़ा में सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर से बात की गई तो पता चला कि बिजली कुछ ही मिनटों में आ जाएगी परंतु घंटो बीत जाने के बाद भी बिजली नहीं आई है ।
उधर कुछ विद्यार्थी अपने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे हैं जो कि 3 घंटे भी अपना व्यर्थ नहीं करना चाहते परन्तु बिजली विभाग के निकम्मेपन वह तानाशाही पूर्ण रवैये के कारण उनके 3 दिन खराब हो गए हैं। और अगर इन 3 दिनों की तैयारी में से कोई प्रश्न उनके छूट गया तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? और उनके भविष्य को खराब करने में किस विभाग का हाथ होगा? सबसे बड़ी दुखद बात यह है कि यहां के अधिकारी बिल्कुल ही गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाए हुए हैं, तथा जनता को यह पता ही नहीं चल रहा है कि बिजली आएगी भी तो कब क्योंकि कोई फोन ही नहीं उठा रहा । तानाशाह रवैया अपनाए यहां के बिजली विभाग के अधिकारी, और यहां के चुने हुए जन प्रतिनिधियों की तो बात ही क्या कहिए? क्या उन्हें संकट के इस समय में अपने वोटर्स के साथ नहीं खड़ा होना चाहिए था ?वह चुपचाप मूकदर्शक बने सारा तमाशा देख रहे हैं परन्तु जनता के लिए आवाज नहीं उठा रहे हैं। ऐसे जनप्रतिनिधियों को चुनकर क्या भेजना चाहिए ?यह भी एक बड़ा प्रश्न है क्योंकि यदि जनता की कोई परेशानी है तो जनप्रतिनिधियों का यह कर्तव्य बनता है कि वे उनकी परेशानियों को सुने तथा उनके साथ खड़े होकर उच्च अधिकारियों पर दबाव बनाये कि समस्या का हल जल्दी से जल्दी निकाला जाए। परंतु इसके विपरीत यहां के चुने हुए प्रतिनिधि फोन तक नहीं उठाते हैं ।यह कैसी विडंबना है जहां लोकतंत्र में एक ओर तो वोटरों को रिकॉल का अधिकार देने की बात हो रही है वहीं जनता के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों को जनता के साथ खड़ा होना चाहिए था वहीं वह फोन तक नही उठा रहे। ऐसे लग रहा है कि जनप्रतिनिधि अधिकारियों को उनके निकम्मेपन को बचाने में जुटी हुये है।
संजीव सोनी ने बताया कि कुछ युवा लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं परंतु बिजली ना होने के कारण उनके जॉब्स पर खतरा मंडराने लगा है ।क्या हम जनप्रतिनिधि इसीलिए चुनते हैं कि वह संकट या विपत्ति के समय में जनता का साथ ना दें ।और वह जनता का साथ देंगे भी क्यों, क्योंकि उनके घरों में बिजली जगमग आ रही है। संजीव सोनी ने कहा कि हम जनप्रतिनिधियों की कुर्बानी तब मानते यदि वह कहते कि पहले मेरी जनता की बिजली रिस्टोर कीजिए बहाल कीजिए तब मेरे घर में बिजली बहाल करें ।खुद भी 3 दिन अंधेरे में रहकर देखते तो उन्हें एहसास होता कि बिजली के बिना कितनी दिक्कत होती है और बिजली विभाग का चातुर्य देखिए कि उन्होंने सभी नेताओं के घर में बिजली बहाल कर दी है और आम जनता को अंधेरे में रखा है।
लोगों के घरों में फ्रिज में पड़ा सारा सामान खराब हो गया है लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है प्रतियोगी परीक्षाओं में जाने वाले बच्चे का नुकसान हो रहा है तथा व्यापारी लोगों का हजारों का नुकसान हो चुका है परंतु किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि जो भी इसके लिए जिम्मेदार हैं उनको तो सैलरी मिल ही जाएगी ।
संजीव सोनी ने हैरानी जताई कि बिजली बोर्ड के उच्च अधिकारी तो तुरंत फोन उठा लेते हैं यहां तक की जब उन्होंने बोर्ड के चेयरमैन धीमान जी को फोन लगाया तो उन्होंने तुरंत फोन उठाया और कहा कि आप चिंता ना करें मैं अभी वहां के सभी उच्च अधिकारियों को आदेश देता हूं कि शीघ्र अति शीघ्र बिजली बहाल की जाए ।चाहे किसी दूसरे फीडर से लेकर या बाईपास सिस्टम बना कर या अधिक लेबर लगाकर। बोर्ड के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर और चेयरमैन तक ने फोन उठा लिया परंतु यहां के डिवीजन और सब डिवीजन के अधिकारी जो इस सारे सिस्टम के लिए जिम्मेवार हैं फोन तक नहीं उठाते। यह शिकायत आम जनता की है लेकिन आम जनता की आवाज बने कौन और उनकी आवाज को उठाए कौन?
यह संजीव सोनी ने बताया कि नुकसान ज्यादा हुआ है परंतु उस नुकसान को ठीक करने के लिए विभाग को अधिक संसाधनों का उपयोग करना चाहिए था। इमरजेंसी में दूसरी जगहों से लेबर मंगवा कर जो काम 3 दिन में पूरा किया जा रहा है उसे 1 दिन में पूरा किया जा सकता था बिजली के लिए बाईपास सिस्टम का उपयोग किया जा सकता था लेकिन यह सब मैनेजमेंट लेवल की लापरवाही के कारण हुआ है, क्योंकि उन्हें मालूम है कि उनके सिर के ऊपर नेताओं का वरहद्धस्त है इसलिए जनता उनका क्या बिगाड़ लेगी।
संजीव सोनी ने बिजली बोर्ड के चेयरमैन धीमान जी का तथा बिजली बोर्ड के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर कांगड़ा, का आभार जताया है कि उन्होंने समस्या की गंभीरता को समझते हुए उच्च अधिकारियों को तुरंत आदेश दिए ।
संजीव सोनी अध्यक्ष संयुक्त व्यापार मंडल पालमपुर
यहां का बिजली विभाग तो भगवान भरोसे ही है क्योंकि यहां के अधिकारी निरंकुश है तथा अपनी मनमर्जी से कार्य करते हैं कोई फोन नहीं उठाता यह तो बड़ी विपदा थी छोटी मोटी कंप्लेंट हो तो भी फोन नहीं उठाते तो फिर कंप्लेंट कहां पर करें किस के आगे रोना रोए वीआईपी लोगों के घर बिजली पानी की सप्लाई देर बाद चलती रहती है हम तो आम जनता हमेशा परेशान रहती हैं