ChandigarhHaryanaJ & KMohaliPanchkulaPunjabSocial and cultural

मंडी की निशा ठाकुर ने दुनिया छोड़कर भी पांच लोगों को नई जिंदगी दे गईं , पति ने लिया अंगदान का साहसिक फैसला

Renu sharma tctRenu Sharma tct

पीजीआई के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर सुरजीत सिंह ने अंगदाता परिवार के लिए कहा कि दुख की घड़ी में यह एक अत्यंत कठिन निर्णय था, जिसे लेकर निशा के परिवार ने मिसाल कायम की है। उनके पति दिनेश ठाकुर ने समय रहते पत्नी के अंगदान का निर्णय लेकर कई लोगों को नया जीवन देने में अहम भूमिका निभाई

दुनिया को अलविदा कहकर भी निशा ठाकुर पांच लोगों को नया जीवन दे गईं। सुंदर नगर, मंडी (हिमाचल प्रदेश) की रहने वाली निशा ठाकुर (43) के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद पति ने उनके अंगदान का फैसला लिया, जिसके बाद उनकी दोनों किडनी, अग्नाशय और दोनों कॉर्निया पीजीआई की प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों में प्रत्यारोपित की गईं, जबकि हृदय को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर समय रहते एम्स दिल्ली पहुंचाया गया और वहां भर्ती मरीज में प्रत्यारोपित किया गया है

बीते दो जनवरी को निशा ठाकुर अपने पति के साथ स्कूटर पर कहीं जा रही थीं। एक राहगीर को बचाने के लिए उनके पति ने अचानक ब्रेक लगाया तो निशा झटके से नीचे गिर गईं। इससे उनके सिर में गंभीर चोटें आईं। निशा को तत्काल मोहाली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां स्थिति बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई रेफर कर दिया गया। पीजीआई में इलाज के दौरान पांच जनवरी को निशा को ब्रेन डेड घोषित किया गया। इसके बाद उनके पति दिनेश कुमार ठाकुर ने अपनी पत्नी के अंगदान का निर्णय लिया। दिनेश ठाकुर का कहना है कि यह मेरी पत्नी के लिए दूसरों के माध्यम से जीने का मौका है। अंगदान करके कम से कम हम कुछ अन्य परिवारों को उस दर्द और आघात से बचाने का प्रयास कर सकते हैं, जो मैंने अपनी पत्नी की मृत्यु पर झेला है।

गाजियाबाद के जरूरतमंद मरीज में प्रत्यारोपित हुआ हृदय
पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक व रोटो के नोडल अधिकारी प्रो. विपिन कौशल ने क्रॉस मैचिंग के बाद हृदय का मिलान न होने पर तुरंत अन्य अस्पतालों से संपर्क किया गया। इसके बाद हृदय को एम्स नई दिल्ली में भर्ती गाजियाबाद निवासी 39 वर्षीय हृदय रोगी को प्रत्यारोपित करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर के जरिए से 6 जनवरी की दोपहर 1:05 बजे चंडीगढ़ हवाई अड्डे पहुंचाया गया, जहां से उसे हवाई जहाज से दिल्ली भेजा गया। उधर, निशा का हृदय प्राप्त करने वाले परिवार का कहना है कि उस अंगदाता ने हमारे परिवार के सदस्य को जीने का दूसरा मौका दिया है। अंगदाता परिवार के इस अमूल्य दान को शब्दों में बयां करना मुश्किल है।साभार अमर उजाला

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button