व्यवस्था परिवर्तन नहीं, अव्यवस्था की ओर कदम: अस्पतालों में ₹10 परामर्श शुल्क पर भड़की ‘आप’

व्यवस्था परिवर्तन नहीं, अव्यवस्था की ओर कदम: अस्पतालों में ₹10 परामर्श शुल्क पर भड़की ‘आप’
ट्राई सिटी टाइम्स, 5 जून 2025, शिमला
राज्य सरकार द्वारा जारी उस अधिसूचना के खिलाफ विरोध की लहर उठ रही है, जिसमें अब सरकारी अस्पतालों में पंजीकरण के समय सभी मरीजों से ₹10 परामर्श शुल्क वसूलने की बात कही गई है। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस फैसले को गरीब और मध्यमवर्गीय जनता पर सीधा आर्थिक बोझ बताते हुए तीखा विरोध दर्ज किया है और चेताया है कि यदि यह अधिसूचना वापस नहीं ली गई, तो पार्टी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेगी।
प्रदेशाध्यक्ष सुरजीत सिंह ठाकुर ने शिमला में कहा कि “व्यवस्था परिवर्तन” के नाम पर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार अब जनविरोधी फैसलों से “व्यवस्था ध्वस्त” करने में लगी है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ तो मुफ्त की घोषणाएं करती है, दूसरी ओर गरीबों को मिलने वाली बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं पर भी शुल्क लगाकर उन्हें और संकट में डाल रही है।
ट्राई सिटी टाइम्स की पड़ताल में सामने आया है कि इस निर्णय से न सिर्फ मरीजों को बल्कि पहले से ही सीमित स्टाफ वाले सरकारी अस्पतालों को भी अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा।
लाइनें लंबी होंगी,
मरीज और उनके परिजन परेशान होंगे,
और अस्पताल का स्टाफ जो पहले ही स्टाफ की कमी से जूझ रहा है, उसे अब “₹10 काटो, ₹90 लौटाओ” जैसी झंझटों से जूझना पड़ेगा। शाम को स्टाफ पैसे गिनने में लग जाएगा
व्यवहारिक स्तर पर यह निर्णय अव्यवस्था को जन्म देगा। अभी तक एक पर्ची कटवाने में जहां 1-2 मिनट लगते थे, अब यह प्रक्रिया 10 मिनट तक खिंच सकती है। खुले पैसे के झगड़े, बहस और नाराजगी स्टाफ और मरीजों के बीच टकराव को बढ़ा सकती है।
इतना ही नही प्रदेश सरकार ने सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में 14 श्रेणियों को प्रदान की गई निश्शुल्क डायग्नोस्टिक जांच और एक्सरे सुविधा वापस लेने का निर्णय लिया गया है।
स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के बजाय ऐसे फैसलों से लगता है सरकार केवल बजट आंकड़ों को सुधारने में जुटी है, जनता की तकलीफों से नहीं। यह फैसला न सिर्फ आम लोगों के विश्वास को ठेस पहुंचाता है बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के निःशुल्क और सर्वसुलभ होने के सिद्धांत पर भी सवाल खड़ा करता है।
उधर हिमाचल के अस्पतालों में पर्ची पर 10 रुपये का शुल्क लगाने पर BJP ने विरोध किया है, त्रिलोक कपूर बोले- जनता पर बढ़ोगा बोझ।
लोगों का मानना है कि सरकार इस अधिसूचना को तुरंत वापस ले और व्यवस्था को सरल, सहज व मानवीय बनाए — न कि गरीब मरीजों के सिर पर और बोझ लादे।
