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*हिन्दू समाज से जुड़े पर्व तथा त्योहारों के आयोजन में एक धारणा न होना एक बड़ी विसंगति बन कर उभरा है :- पूर्व विधायक प्रवीन कुमार*

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हिन्दू समाज से जुड़े पर्व तथा त्योहारों के आयोजन में एक धारणा न होना एक बड़ी विसंगति बन कर उभरा है :- पूर्व विधायक प्रवीन कुमार…

.. यह विचार व्यक्त करते हुए समाज सेवा में समर्पित इन्साफ संस्था के अध्यक्ष एवं पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार का कहना है कि पूर्व में पंचांग तैयार करने वाले विद्वान आपस में विचार विमर्श कर ही पर्व का एक दिन निर्धारित किया करते थे । हलांकि उस समय भी शुभ मुहूर्त को लेकर अलग अलग विचार उभरते थे बावजूद उसके आपसी रजामन्दी के आधार पर समूचा हिन्दू समाज एक ही दिन यह त्योहार मनाया करता था। पूर्व विधायक ने कहा अव स्थिति वैसी नहीं है । मसलन के तोर पर होली , कृष्ण जन्माष्टमी , भैयादूज , रक्षाबंधन इत्यादि हिन्दूओं के इतने बडे 2 त्योहार आपसी टिकाटिप्पणियों व तर्को से उलझ कर समाज एवं घर की रोनक में खटास पैदा कर रहे हैं। पूर्व विधायक ने रहस्योद्घाटन करते हुए कहा कि अन्य मजहबों की तुलना में ये त्यौहार सरेआम मजाक नहीं तो ओर क्या है। उन्होंने कहा कोई रक्षाबंधन आज मना रहा है तो कोई कल मना बैठा । पूर्व विधायक ने कहा कि यह कितनी हास्यास्पद वात लगती है महिलाओं के लिए तो रक्षाबंधन की छुट्टी घोषित है लेकिन जव बहन राखी बांधने मायके पहुँचती है तो आगे भाई ड्यूटी पर होता है । किसे राखी पहनाए । इसी तरह होली का त्योहार तव मनाया जाता है जव बच्चे स्कूल में पढते हैं दफ्तर लगे होते हैं ओर छुट्टी दूसरे दिन होती है। पूर्व विधायक ने विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अन्य प्रतिनिधियों , विचारकों व चिन्तकों से आग्रह किया है कि राष्ट्रीय स्तर के पंचांग विद्वानों एवं ज्योतिषियों से सलाह मशविरा करके आम राय से एक ऎसा कलैण्डर घोषित किया जाये जिसमें हिन्दूओ के सभी त्योहारों का तय दिनों में मनाने का जिक्र हो ओर उसी के आधार पर राजपत्रित अवकाश घोषित हो।

 

Parveen kumar ex MLA Palampur Tricity Times इस बात का पक्षधर है कि हमें सभी हिंदुओं को सभी त्योहार मिलजुलकर और 1 दिन ही मनाने चाहिए ताकि सभी लोग एक दूसरे की खुशियों में शामिल हो सके ऐसा ना हो कि एक पड़ोसी पहले दिन होली मना ले दूसरा पड़ोसी अगले दिन होली बनाएं अगर हम सभी लोग अपनी सुविधा के अनुसार त्यौहार मनाने लग पड़े तो वह दिन दूर नहीं जब देश में होलियां हफ्तों तक खेली जाएंगी और दिवाली महीनों तक मनाई जाएगी

मैंने पहले भी कई मर्तबा इस विषय को उठाया है इससे ना केवल सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है बल्कि सरकार को नुकसान के साथ-साथ समाज में कटुता भी बढ़ती है और कॉलोनियों में लोग एक दूसरे से खुद को सही साबित करने में लगे होते हैं कि वे लोग बेवकूफ हैं जिन्होंने  होली पहले मना ली, हम लोग सही हैं कि हम होली आज मना रहे हैं।

 

 

 

 

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