*पाठकों के लेख :-लेखक राकेश कोरला एचएएस:, राज पथ अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना और पुकारा जाएगा।*
राज पथ अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना और पुकारा जाएगा !
राज पथ अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना और पुकारा जाएगा। सरकार का तर्क है कि आजादी के 75 साल बाद गुलामी का कोई भी प्रतीक नहीं रहना चाहिए।
ठीक है कि गुलामी के प्रतीक नहीं रहने चाहिए मगर बकौल सरदार अली जाफरी , ” माथे से गुलामी की स्याही और सीने से महकूमी का दर्द भी तो मिटना चाहिए। ”
इस मार्ग का निर्माण अंग्रेजों के शासनकाल में किया गया था। राजपथ को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन ( Design) किया था । राजपथ को पहले किंग्स वे कहा जाता था क्योंकि जॉर्ज पंचम के सम्मान में इसे यह नाम दिया गया था।1947 में आजादी मिलने के बाद किंग्स वे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया था।
अब यह ‘ कर्तव्य पथ ‘ बन गया है ।
काश ! राजनीति का पथ , सेवाओं का पथ , देश का हर पथ ‘ कर्तव्य पथ ‘ बन कर हम सब में कर्तव्य बोध जागृत करता रहे।
क्योंकि हमें अपने अधिकार तो याद रहते हैं मगर ‘ कर्तव्यों ‘ की अनुपालना की अपेक्षा हम दूसरों से ही करते हैं। हर गाँव का , हर शहर का , हर गली का , हर मुहल्ले का हर पथ ‘ कर्तव्य पथ ‘ बन कर हमें हमारी राष्ट्र के प्रति और समाज के प्रति जिम्मेदारियों की याद दिलाता रहे।