*ज्ञानवापी_मस्जिद_का_मुकादमा_सुनवाई_योग्य_करार* महेंद्र नाथ सोफत सोलन पूर्व मंत्री*
15 सितंबर 2022- (#ज्ञानवापी_मस्जिद_का_मुकादमा_सुनवाई_योग्य_करार)-
वाराणसी के जिला सत्र न्यायाधीश ने सोमवार को इंतेजामिया मास्जिद कमेटी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमे कहा गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ बोर्ड की सम्पति है और कोर्ट ने पाया कि काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे मस्जिद परिसर की बाहरी दिवारों पर हनुमान, नंदी और मां श्रंगार गौरी की दैनिक पूजा के अधिकार की पांच हिंदू महिलाओं की दलील मे दम है, अर्थात मुकदमा सुनवाई योग्य है। उधर मस्जिद समिति इस आदेश को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय मे दस्तक दे सकती है।
मुस्लिम पक्ष प्रार्थना स्थल अधिनियम 1991 का हवाला देकर जिसमे 15 अगस्त 1947 को विद्यमान प्रार्थना स्थल के धार्मिक स्वरूप को बदलने को निषेद किया गया है को अपने पक्ष मे इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय पहले ही निर्णय दे चुका है कि किसी पूजा स्थल के चरित्र का पता लगाने की प्रक्रिया 1991 के कानून के अंतर्गत प्रतिबंधित नहीं है। खैर यह कानूनी दाव पेंच की लड़ाई है और निश्चित तौर पर सामने एक लम्बी और पेचीदगी पूर्ण कानूनी लड़ाई दस्तक दे रही है। हालांकि शिवभक्त बहुत खुश है क्योंकि सोमवार के कोर्ट निर्णय को वह हर हर महादेव की विजय मान रहे है।
भारत लम्बे समय तक मुगलों और अंग्रेजो का गुलाम रहा है । इस दौरान हमारे सैंकड़ो मंदिरों को तोड़ा गया और उन पर अतिक्रमण किया गया। उन सब दुर्भाग्यपूर्ण अतिक्रमणो को न तो भुलाया जा सकता है और न ही ठीक किया जा सकता है। कानूनी प्राक्रिया बहुत लम्बी और कभी न खत्म होने वाली होती है, फिर इस प्रक्रिया के रास्ते मे अवरोध के तौर पर 1991 जैसा कानून खड़ा कर दिए गया है। मेरे विचार मे दोनो समुदायों और पक्षों के परिपक्व नेताओं को इस प्रकार के विवादों का बातचीत से हल खोजना चाहिए। मेरा मानना है कि भले बातचीत से हल खोजना मुश्किल है लेकिन असम्भव नहीं है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है। sofat Solan
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