*मेघालय_के_पूर्व_राज्यपाल_सतपाल_मलिक_से_सीबीआई_की_पूछताछ*
10 अक्तूबर 2022- (#मेघालय_के_पूर्व_राज्यपाल_सतपाल_मलिक_से_सीबीआई_की_पूछताछ) –
मेघालय के पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक के सेवानिवृत्त होने के चंद दिनो बाद ही सीबीआई के अफसरों ने मलिक से जम्मू-कश्मीर के कथित दो रिश्वत कांडो के विषय मे पूछताछ शुरू कर दी है। स्मरण रहे पूर्व समाजवादी नेता जो लगभग हर प्रमुख राजनैतिक दल के सदस्य रह चुके है को जब मोदी सरकार ने बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया था तो राजनैतिक विश्लेषकों को हैरान कर दिया था। उसके बाद उन्हे जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाने और 370 धारा को निरस्त करने का काम सौंपने पर तो सारा मीडिया जगत, राजनैतिक विश्लेषक और राजनीतिक टिप्पणीकार आश्चर्यचकित थे। खैर उन्होने अपना काम बाखूबी निभाया और उन्हे पहले गोवा और फिर मेघालय स्थानांतरण कर दिया गया। इस बीच बड़बोले सतपाल मलिक ने किसान आंदोलन के समर्थन मे ब्यान देने शुरू कर दिए और केन्द्रीय सरकार उनके निशाने पर आ गई थी। उन्होने यह कहते हुए सनसनी फैला दी थी कि उनके जम्मू-कश्मीर के कार्यकाल के दौरान उन्हे दो फाइले पास करने की एवज 300 करोड़ की घूस की पेशकश की गई थी। उनका दावा है कि उन्होने इस पेशकश को ठुकरा दिया था और दोनो फाइले रद्द कर दी थी। एक फाइल इंडस्ट्रियलिस्ट अंबानी और दुसरी किसी संघ के जुडे व्यक्ति की बताई गई थी।
मलिक के उपरोक्त सनसनीखेज ब्यान के आधार पर सीबीआई ने अप्रैल 2022 मे एफ. आई. आर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। जांच अधिकारी सतपाल मलिक की सेवानिवृत्ति की इतंजार मे थे। याद रहे राज्यपाल संवैधानिक पद है और इस पद पर रहते हुए उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता था। हांलाकि अभी तक यह साफ नहीं है कि सीबीआई उनसे पूछताछ बतौर गवाह कर रही है या उन्हे आरोपित बनाने का इरादा रखती है। समय के साथ यह बात भी साफ हो जाएगी, लेकिन यह जबावदेही तो सतपाल मलिक की बनती ही है कि यदि वह वास्तव मे ही पाक-साफ है और यह किस्सा भी सचा है तो उन्होने उसी वक्त पेशकश करने वाले अफसर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने के आदेश क्यों नहीं दिए। इस जांच का परिणाम बहुत दिलचस्प होगा। जांच उच्च पदों पर काम करने वालो के कार्यकलाप की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करेगी।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।